गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का ट्रांसफर हो गया। गोवा के राज्यपाल बने हुए अभी एक साल भी नहीं हुआ था कि उनका ट्रांसफर हो गया और उन्हें अब मेघालय का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक का यह ट्रांसफर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ लगातार गतिरोध की वजह से ही हुआ है। अब गोवा का अतिरिक्त प्रभार महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशयारी को दिया गया है।
सत्यपाल मलिक को पिछले साल 4 नवंबर को गोवा के राज्यपाल के रूप में शपथ दिलाई गई थी, जो जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल के रूप में कड़े कार्यकाल से अधिक आरामदायक पोस्टिंग माना गया था। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में मलिक ने परिवर्तनकाल को देखा, जिसमें आर्टिकल 370 को निरस्त करना और राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन भी शामिल था।
जैसे ही मलिक गोवा के राज्यपाल नियुक्त हुए, उसके तुरंत बाद से ही मलिक और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने मतभेदों को व्यक्त करना शुरू कर दिया। ऐसे कई मौके आए जहां दोनों के बीच खुलकर मतभेद सामने आए।
इसी साल जुलाई के मध्य में सत्यपाल मलिक ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को कोरोना वायरस संकट से निपटने में आने वाली कमियों और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को लेकर उनकी सरकार की रणनीति पर चर्चा के लिए तलब किया था। लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सावंत ने इस बैठक को बेकार बता दिया था। इसके बाद मलिक ने सावंत पर कोरोना के खिलाफ रणनीति को लेकर खुलकर बात न करने का आरोप लगाया था।
मलिक ने उस दौरान कहा था, ‘मैंने उन्हें एक साथ आने और काम करने और एक दूसरे की आलोचना नहीं करने के लिए कहा है … मंत्रियों और अधिकारियों के बीच तालमेल बनाने की जरूरत है। मलिक ने कहा कि ऐसा नहीं है (जितना होना चाहिए), संकट के समय विशेष रूप से अधिक होने की जरूरत है।’
यह कहना निश्चित रूप से गलत है कि मैंने प्रेस को दोषी ठहराया है। प्रेस का मुद्दा (कवरेज) नहीं आया (बैठक के दौरान)। मैंने निश्चित रूप से प्रेस की आलोचना नहीं की है। प्रेस हमारी ताकत है, जिसके माध्यम से हमें प्रतिक्रिया मिलती है और उसके बाद ही हम आगे बढ़ सकते हैं। सीएम ने कहा है कि मैंने यह कहा, लेकिन मैंने ऐसा नहीं कहा है। उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। मैंने निश्चित रूप से ऐसा नहीं कहा।’
वहीं, दोनों के बीच गतिरोध उस वक्त भी आया जब अभी हाल ही में मुख्यमंत्री सावंत ने एक नए राजभवन के निर्माण की घोषणा की तो मलिक ने उन्हें एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया था कि ‘ऐसे समय में जब राज्य कोविड-19 और वित्तीय संकट से जूझ रहा है, एक नए राजभवन के निर्माण का विचार तर्कहीन और अविवेकी है।’ तब सत्यपाल मलिक ने कहा था कोई भी नया पूंजी कार्य राज्य के आर्थिक बोझ पर अनावश्यक अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेगा।