गाजियाबाद। महफ़िल-ए-बारादरी की अध्यक्षता करते हुए मशहूर शायर मंगल नसीम ने कहा कि उन्होंने पूरी दुनिया के मंचों से शेर पढ़े, लेकिन इस बिरादरी में आकर ऐसा महसूस हो रहा है मानों घर वापसी हो गई है। हर शेर पर दाद बटोरते हुए उन्होंने फरमाया “मुझे वो गैर भी क्यूं कह रहे हैं, भला क्या ये भी अपनापन नहीं है। किसी के मन को भी दिखला सके जो, कहीं ऐसा कोई दर्पण नहीं है। मैं अपने दोस्तों के सदके लेकिन, मेरा कातिल कोई दुश्मन नहीं है।” एक अन्य गजल के शेर उन्होंने कुछ यूं कहे “जल रहे हैं बाम ओ दर आप कुछ तो बोलिए, फुंक रहे हैं घर के घर आप कुछ तो बोलिए। मजहबों के नाम पर रंजिशें अदावतें, कुछ इधर हैं कुछ उधर आप कुछ तो बोलिए। हम ही कम नसीब हैं या है वक़्त बरखिलाफ, या दुआ में है कसर ,आप कुछ तो बोलिए
नेहरू नगर स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित “बारादरी” के मुख्य अतिथि और भारतीय उच्चायोग, लंदन के पूर्व अताशे (हिंदी व संस्कृति) तरुण कुमार ने कहा कि कविता में वह ताकत है जो जिन्दगी की हकीकत से हमारा साक्षात्कार कराने के साथ तकलीफ में हमारा संबल बनती है। उन्होंने कहा कि मैं दुआ करता हूं कि गंगा जमुना तहजीब की जो बयार गाजियाबाद से चली है, वह दूर तक पहुंचे। श्री कुमार ने कोरोनाकाल को केंद्रित कर “सूरते हाल” शीर्षक से कविता भी पढ़ी। संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ ने सुमधुर स्वर से पेश की गई गजल कुछ यूं कही “दूर बैठे हो किसी दर्द से रंजूर हो तुम, कुछ बताओ तो सही किस लिए मजबूर हो तुम। तुम नये रंग लिए ख़्वाब में आते थे मेरे, तुम मेरी माँग की रौनक़ मेरा सिंदूर हो तुम। सामने है मेरी आंखों के तुम्हारी तसवीर, ऐसा लगता है कि अब ख़ुद ही में मख़मूर हो तुम।” संस्था के अध्यक्ष गोविंद गुलशन ने कहा “कौन अपना है यह चेहरों से नहीं जानते हैं, हम तो नाबीना हैं आवाज से पहचानते हैं। झूठ हम बोलें मुमकिन तो नहीं लगता मगर, सच अगर साफ कहें लोग बुरा मानते हैं। यकीन कीजिए किस पर, यकीन में क्या है, मुझे पता है मेरी आस्तीन में क्या है।”मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के “नवदीप सम्मान” से सम्मानित किए गए युवा हस्ताक्षर संदीप शजर ने कहा, ” उसको भी जीत का गुमान रहे, मैं भी कुछ इस हिसाब से हारा।आख़िरी सांस ले रही थी रात, जब चराग़ आफ़ताब से हारा।” एक और गजल में उन्होंने कहा “आने जाने का सिलसिला है बस, ज़िन्दगी एक रास्ता है बस। एक बिस्तर पे हैं ख़ुशी और ग़म, और करवट का फ़ासला है बस।” कार्यक्रम का जीवंत संचालन दीपाली जैन ‘ज़िया’ ने करते हुए फरमाया “ज़िन्दगी छटपटाती रही रात भर, मुझसे नज़रें चुराती रही रात भर। गिर गए हाथ से दाने तस्बीह के, मैं ग़ज़ल गुनगुनाती रही रात भर। चांद शब भर रहा उसके आग़ोश में, चांदनी दिल जलाती रही रात भर।” शायर सुरेंद्र सिंघल ने कहा “कोई दरवाजा कहीं होता वो खुलता जरूर, यानी दस्तक मेरी दीवारों से टकराती रही।” “सवाल ये तो नहीं है कि उसने देखा क्या, सवाल ये है गवाही में वो कहेगा क्या?” उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वि’ ने कहा “पल भर में ही छोड़ कर चला गया उस पार, कैसे हो गया तू फिर मेरा दावेदार।” सोनम यादव ने अपने शेरों “लब पे तराने आए जब से किसी गजल के, खुशबू हवा में बिखरी महके हैं दल कमल के। इस प्यार की ग़ज़ल के तुम हो हंसी तरन्नुम, मुस्का रही है महफिल भी काफिया बदल के” पर खूब दाद बटोरी। पदम ‘प्रतीक’ ने कहा “हममें हर इक में इक परिंदा है, और हर इक में इक शिकारी है।” खुश्बू सक्सेना ने भी अपने शेरों “आंखों में इबारत है और दिल में कहानी है, आ जाए अगर वो तो उस को ही सुनानी है। उस चांद का पानी में बस अक्स उतरना है, इक चांद है आंखों में और झील में पानी है” पर दाद बटोरी।तुलिका सेठ ने कहा “मोहब्बत जिंदगी का काफिया है, मगर ये जाम कितनों ने पिया है।” नंदिनी श्रीवास्तव ने कहा “भावनाओं पर मेरी यूं ज्ञान का अंकुश लगा कर, क्या मिलेगा इस तरह खुद को सता कर।” अनिमेष शर्मा ने फरमाया “आंखों में शर्मो हया लब पर दुआ कुछ भी नहीं, सब पुराना है कहानी में नया कुछ भी नहीं।” राजीव सिंघल ने कहा “क्या अजब जिंदगानी हुई, ये किसी की दीवानी हुई, रूबरू उनके जब आ गया, ये ज़मीं आसमानी हुई। ईश्वर सिंह तेवतिया ने अपने गीत “कलम” की पंक्तियों “कम लिख कलम मगर ऐसा लिख, जिस पर कल शर्मिंदा ना हो, जिससे प्रेम न मिटने पाए, जिससे नफ़रत जिंदा ना हो” और इंद्रजीत सुकुमार ने अपने गीत की पंक्तियों “तुम मेरे सीने से लग कर अपनी पलकें बंद कर लो, मौन खुद आवाज देगा पीर से अनुबंध कर लो” पर खूब दाद लूटी। इस अवसर पर रीता ‘अदा’, डॉ. वीना मित्तल, निधि सिंह ‘पाखी’ , कुलदीप बरतरिया, रूपा राजपूत और टेकचंद आदि ने भी काव्यपाठ किया। इस अवसर पर देवेंद्र गर्ग, तिलकराज अरोड़ा, आलोक यात्री, पूनम मिश्रा, वागीश शर्मा, सारिका गुप्ता, रविशंकर पांडे, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, राकेश शर्मा, सुंदर यादव, राकेश सेठ, सौरभ कुमार, अशहर इब्राहिम, अन्नय वर्मा आदि मौजूद थे।