यूक्रेन से सरजमीं पर कदम रखते ही छलके खुशी के आंसू

लौटे छात्रों ने परिजनों को सुनाई आपबीती

नई दिल्ली । किताब के पन्नों में सिमटी युद्ध की विभिषिका की आप सिर्फ कल्पना कर सकते हैं। जीत और हार के बीच तर्क व कुतर्क कर सकते हैं, लेकिन जब युद्ध से सामना होता है तो एक बात ही जेहन में आती है कि युद्ध कोई भी जीते, लेकिन मानवता की हार निश्चित है। मैं चेरनीवत्सी में पढ़ाई कर रही हूं, जहां अभी धमाकों की आवाज नहीं सुनाई दे रही है, लेकिन यूक्रेन के अन्य हिस्सों में गोलीबारी की बात सुनकर पूरा शरीर भय से कांप उठता था। मां-पापा की चिंता और खुद को असुरक्षित महसूस करने के बाद की मन:स्थिति को शब्दों में बयां करना कठिन है। भगवान यह दिन किसी को नहीं दिखाए। मेडिकल की छात्रा छवि ही नहीं बल्कि फ्लाईट से आए तमाम छात्रों के जेहन में इसी तरह की बातें बार-बार कौंध रही थी। एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही अपनों को देखते ही खुशी के आंसू छलक उठते थे। उधर, केंद्र सरकार की ओर से तत्परता दिखाने के साथ ही सुरक्षित घर वापसी की कोशिशों की सभी छात्र सराहना कर रहे थे।यूक्रेन से लौटे गौरव ने बताया कि भारत सरकार की कोशिश की वजह से हम इतनी आसानी से घर लौट आए। बार्डर पर काफी लंबा जाम लगा हुआ है, लेकिन तिरंगा झंडा लगी गाड़ियों को कहीं भी रोकटोक नहीं है। जाम के कारण हमारी बस कई जगहों पर गलत लेन में चल रही थी, लेकिन कहीं कोई व्यवधान नहीं आया। बुखारेस्ट तक हम आसानी से पहुंच गए और दो घंटे बाद ही हमें विशेष विमान में जगह दे दी गई। खाने पीने को लेकर भी कोई दिक्कत नहीं। भारतीय दूतावास से हमें सभी सामग्री मुहैया कराई जा रही थी। गौरव ने बताया कि यूक्रेन में समय के साथ ही हालात खराब हो रहे हैं। कुछ बड़े माल अब सिर्फ यूक्रेन के निवासी को ही सामान दे रहे हैं। ऐसे में अगर वहां पर कुछ दिन और रुकना पड़ता तो स्थिति काफी खराब हो सकती थी।पार्थ ने बताया कि अपना देश आकर बहुत अच्छा लग रहा है। सबसे ज्यादा खुशी इस बात की हो रही है कि मेरे माता-पिता चिंता मुक्त हो गए। अभी भी यूक्रेन में काफी लोग फंसे हुए हैं। ऐसे में जल्द से जल्द सभी को लाने की कोशिश की जानी चाहिए। महिमा ने बताया कि बस से हमें रोमानिया ले जाया गया। बार्डर पर काफी जाम लगा था। इस कारण रोमानिया से बुखारेस्ट जाने में करीब आठ घंटे का समय लगा। बुखारेस्ट में तीन घंटे के इंतजार के बाद हमें विशेष विमान से यहां लाया गया।उन्होंने कहा चेरनीवत्सी के आसपास के शहर में बम धमाके शुरू हो गए थे। डर लग रहा था। हर समय भय लगा रहता था कि अब हमारे शहर में बमबारी न शुरू हो जाए, लेकिन ईश्वर ने हमें बचा लिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से की गई पहल की जितनी भी सराहना की जाए कम है। यूक्रेन से लौटी खुशी के पिता ने जब बेटी को देखा तो वे एक ही बात कहते नजर आए कि मोदी हैं तो क्या गम है।उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन में तनाव बढ़ रहा था तो चिंता हमें होने लगी, लेकिन भारत सरकार ने सही समय पर कदम उठाते हुए छात्रों के घर वापसी का अभियान चलाना शुरू कर दिया। इसके बाद हमें इतना विश्वास हो गया कि मेरी बेटी अब सुरक्षित हमारे पास आ जाएगी। आतिश ने बताया कि अभी भी 10 हजार से ज्यादा छात्र वहां पर फंसे हुए हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह से हमें सुरक्षित लाया गया, उसी तरह उन छात्रों को अपनी मातृभूमि पर वापस लाया जाएगा। विभिन्न राज्यों से आए थे अधिकारी आइजीआइ एयरपोर्ट पर विभिन्न राज्यों से अधिकारी आए थे। इनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात के अधिकारी शामिल हैं। ये छात्रों को रिसीव करने के लिए आए थे। उत्तर प्रदेश से आए एक अधिकारी ने बताया कि पहले छात्रों को यूपी भवन ले जाया गया। इसके बाद उन्हें अपने गंतव्य स्थान की ओर रवाना कर दिया गया।

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