बाइडन रूस से खत्म करेंगे व्यापार संबंध

लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि मतदाताओं के बीच में न तो ‘मोदी मैजिक’ कम हुआ है और न ही लहर पर कोई असर है। हां, इस बीच विकासवाद की राजनीति के प्रतीक बनकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जरूर उभरे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जनसभा में ‘यूपी के लिए योगी ही उपयोगी’ जैसा नारा देकर योगी के प्रति बढ़े जनविश्वास पर अपनी मुहर लगा दी।कोरोना महामारी के भयंकर भंवर, कृषि कानून विरोधी आंदोलन को गांव-गांव पहुंचाने के विरोधियों के प्रयास और विपक्षी एकजुटता के बावजूद योगी आत्मविश्वास से ‘सुशासन’ की पतवार चलाते रहे और 37 वर्ष बाद यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार की लगातार वापसी का इतिहास रच डाला। काफी हाथ-पैर मारने के बाद भी भाजपा को मिले पूर्ण बहुमत के मुकाबले सपा मझधार तक ही पहुंच सकी, जबकि बसपा और कांग्रेस गोते खाकर इस सत्ता संघर्ष में पूरी तरह डूबती नजर आईं। वहीं, पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी यहां खाता भी नहीं खोल सकी।तीन दशक से अधिक समय बीत गया, उत्तर प्रदेश के लिए यह मिथक बनता जा रहा था कि यहां कोई पार्टी लगातार दो बार सरकार नहीं बना पाती और नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की सरकार चली जाती है। मसलन, बीते तीन विधानसभा चुनावों में हुए उलटफेर ने इस मिथक को और मजबूत किया। 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा का तख्त 2012 में सपा ने पलटा तो सपा की बहुमत वाली सरकार 2017 की मोदी लहर में ढेर हो गई।

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