बिना साइड इफेक्ट गर्भवती को एनीमिया से म‍िलेगा छुटकारा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का शोध

गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (आईडीए ) पोषण की कमी से होता है। मां के साथ-साथ भ्रूण के स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इस परेशानी में खाने के लिए आयरन सप्लीमेंट इलाज के लिए दिया जाता है। आयरन सप्लीमेंट के रूप में फेरस सल्फेट, आयरन हाइड्रॉक्साइड पॉलीमाल्टोज कॉम्प्लेक्स (आईपीसी) और फेरस एस्कॉर्बेट (एफईए) रसायन को दिया जाता है। देखा गया है कि यह रसायन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोसा के लिए विषाक्त होते है। परेशानी को सह नहीं पाती है हैं। दवा कई बार बंद हो जाती है। इस परेशानी का हल खोजने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने शोध कराया जिसमें देखा गया कि फेरस एस्कॉर्बेट (एफईए) बाकी दोनों के मुकाबले बेहतर है। हीमोग्लोबिन का स्तर तो बढ़ता ही साथ में पेट की परेशानी भी कम होती है। विशेषज्ञों ने 50-50 के तीन वर्ग को तीनों अलग आयरन सप्लीमेंट देने के 90 दिन बाद हीमोग्लोबिन का स्तर देखा तो पाया फेरस सल्फेट ( एफएस) वर्ग के की तुलना में फेरस एस्कॉर्बेट (एफईए) समूह में हीमोग्लोबिन का स्तर काफी अधिक था। प्रचलित रसायन में होती है यह परेशानी : प्रयोग किया जाने वाला सबसे आम लौह पूरक एफएस है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइड इफेक्ट (मतली, उल्टी, पेट दर्द, कब्ज और दस्त) पैदा करने के लिए जाना जाता है। क्या होती है एनीमिया में परेशानी : संजय गांधी पीजीआई के एमआरएच विभाग की प्रो. इंदु लता साहू कहती है कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता लगभग 65-75 प्रतिशत है। एनीमिया का मां के स्वास्थ्य के साथ-साथ भ्रूण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इससे समय से पहले प्रसव, शिशु कम विकास, मंदता, जन्म के समय कम वजन, प्रसवोत्तर रक्तस्राव, हृदय की विफलता और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह शोध एनीमिया के इलाज दी जाने वाली आयरन सप्लीमेंट से कुप्रभाव होने के कारण दवा बंद हो जाती थी इससे राहत मिलेगी और पूर्ण दवा का कोर्स करना संभव होगा। कपरेजिन आफ इफिशिएंसी ऐंड सेफ्टी ऑफ आयरन पालीमालटोस कॉम्प्लेक्स एंड फेरस एस्कॉर्बेट विथ फेरस सल्फेट विथ आयरन डिफिशिएंसी आफ एनीमिया को लेकर डा.सुयश चव्हाण, डा. राणा प्रोतीश, डा. रेवा त्रिपाठी, डा. उमा ठाकुर ने शोध किया जिसे इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च ने स्वीकार किया है।

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