मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी लड़की की लड़के से दोस्ती करने को यौन संबंध की सहमति नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने शादी का झांसा देकर महिला से संबंध बनाने के आरोपी शख्स की गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने 24 जून को पारित आदेश में यह बात कही। उन्होंने शादी का झांसा देकर महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी शहर निवासी आशीष चकोर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।जस्टिस डांगरे ने कहा, “केवल एक लड़की के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखने से किसी लड़के को उसे हल्के में नहीं लेने की और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की सहमति की अनुमति नहीं मिल जाती।” आरोपी व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (2) (एन) (एक ही महिला से बार-बार बलात्कार) और 376 (2) (एच) (गर्भवती महिला का बलात्कार) के साथ-साथ धोखाधड़ी के आरोप के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।शिकायतकर्ता एक 22 वर्षीय युवती थी, जो आरोपी व्यक्ति से ज्यादा परिचित नहीं थी। 2019 में, महिला ने आरोप लगाया कि जब वह और एक दोस्त तीसरे दोस्त के घर गए, तो आरोपी ने कथित तौर पर जबरन उसके साथ यौन संबंध बनाए और जब उसने विरोध किया, तो आदमी ने कहा कि वह उसे पसंद करता है और किसी भी सूरत में उसके साथ शादी करेगा। इसके बाद आरोपित ने शादी का आश्वासन देकर बार-बार महिला से शारीरिक संबंध बनाए। हालांकि, आरोपी चकोर ने यह कहते हुए गिरफ्तारी से सुरक्षा मांगी थी कि महिला ने अपनी सहमति से संबंध बनाए थे।महिला ने बताया कि वह छह सप्ताह की गर्भवती है, आरोपी ने उसकी कोई भी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया और उस पर बेवफाई का आरोप लगाया। उच्च न्यायालय के आदेश में दर्ज किया गया कि महिला ने कथित तौर पर आरोपी व्यक्ति से शादी के लिए बार-बार अनुरोध किया, लेकिन उसने इनकार कर दिया। मई 2019 से 27 अप्रैल 2022 के बीच हुई हरकतों का जिक्र करते हुए जब महिला ने आरोप लगाया कि आरोपित ने जबरन यौन संबंध बनाए तो… प्राथमिकी दर्ज की गई। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला ने अपने बयान में कहा है कि उसने शादी के वादे पर शारीरिक संबंध की इजाजत दी थी।