प्रयागराज। वाराणसी के सिकरौरा में 36 साल पहले हुई सामूहिक हत्याकांड केस में बुधवार को माफिया बृजेश सिंह इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश हुआ। हालांकि न्यायमूर्ति डा. केजे ठाकर व न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस केस की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया। अन्य पीठ नामित करने के लिए याचिका मुख्य न्यायमूर्ति के पास भेज दी गई है।माफिया बाहुबली बृजेश सिंह पर हत्या का आरोप लगाया गया था जिसमें उसे बरी कर दिया गया। वाराणसी जिला कोर्ट ने 2018 में फैसला दिया था, तब कोर्ट ने इस केस में सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया था। निचली अदालत के फैसले को अपील दाखिल कर इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसमें कोर्ट ने बाहुबली को पेश होने का निर्देश दिया था।विभिन्न आराधिक मामलों में बृजेश सिंह वाराणसी सेंट्रल जेल में पिछले 13 सालों से बंद था। 13 साल बाद चार अगस्त, 2022 में माफिया बृजेश सिंह बाराणसी सेंट्रल जेल से रिहा हुआ है। यह मामला 36 साल पुराना है। इस हत्याकांड में सात लोगों की हत्या हुई थी। सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में बृजेश सिंह को बरी कर दिया था। पीड़ित पक्ष का कहना है कि हत्याकांड में उसकी बेटी भी घाटल हुई थी, लेकिन निचली अदालत ने उसके बयानों पर गौर नहीं किया। वहीं परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले का मुख्य गवाह अब भी मौजूद है।याची ने इस जघन्य हत्या के मामले में बृजेश सिंह को सजा दिए जाने की मांग की है। बृजेश सिंह पर वाराणसी जिले के बलुआ थाने में आईपीसी की धारा 148, 149, 302, 307, 120बी एवं आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। उस पर एक ही जाति के सात लोगों की हत्या का आरोप है।