अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत की जांच सीबीआइ कर रही है। सीबीआइ टीम ने रविवार को महंत की मौत की हुई घटना के सीन को दोहराया। बारीकी से अध्ययन किया। इसके लिए सीबीआइ टीम अल्लापुर स्थित श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी पहुंची। महंत नरेंद्र गिरि की जिस कमरे में दिग्ध परिस्थिति में मौत हुई थी, टीम ने उस कमरे का सील तोड़ा और अंदर अंदर टीम दाखिल हुई।
सीबीआइ की विवेचना के दृष्टिकोण से यह कमरा अहम है
सूत्रों की मानें तो महंत नरेंद्र गिरि की जिस कमरे में संदिग्ध दशा में मृत्यु हुई है, वह कमरा सीबीआइ की विवेचना के दृष्टिकोण से बहुत अहम है। यह पता लगाया जा रहा कि घटना के वक्त क्या और कैसी परिस्थितियां रहीं होंगी और उसके आधार पर क्या-क्या हो सकता था। जब पुलिस अधिकारी वहां पहुंचे तब क्या स्थिति थी और उससे पहले का क्या माहौल रहा। इस बारे में भी पता लगाया जा रहा है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा पड़ताल की जा रही है।
आनंद गिरि, आद्या व उसके बेटे संदीप से भी पूछताछ
इसके साथ ही सीबीआइ की टीम अदालत से अनुमति लेकर नैनी जेल में बंद अभियुक्त आनंद गिरि, पुजारी आद्या तिवारी और उसके बेटे संदीप से भी पूछताछ कर सकती है। यह भी देखा जाएगा कि आरोपितों ने जो बयान विवेचक इंस्पेक्टर महेश प्रसाद को दिए थे, वही दोहरा रहे हैं या फिर कुछ और कहानी बयां करेंगे। फिलहाल यह तो पूछताछ के बाद ही साफ हो सकेगा।
घटनास्थल के बाहर लगा पहरा, कमरे की कराई वीडियोग्राफी
इसके पहले सीबीआइ की टीम ने श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी स्थित उस कमरे के बाहर पुलिस का पहरा लगवा दिया था, जहां संदिग्ध दशा में महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु हुई थी। पहरा इसलिए ताकि कमरे से किसी तरह की छेड़छाड़ न हो सके। पुलिसकर्मी की तैनाती के साथ ही उस कमरे की बाकायदा वीडियोग्राफी भी कराई गई। इसमें दरवाजा, खिड़की, दूसरे रास्ते और आसपास रखे सामानों को कैमरे में कैद किया गया। माना जा रहा है कि सीबीआइ को इस कमरे से कुछ अहम सुराग मिल सकते हैं, जिसके चलते इस पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
सीबीआइ टीम बारीकी से हर पहलुओं पर कर रही जांच
सीबीआइ की टीम ने मठ के आगंतुक रजिस्टर और घटना से पहले महंत से मिलने के आए लोगों के बारे में भी जानकारी ली थी। खासकर यह पता लगाने की कोशिश की गई कि घटना से एक सप्ताह पहले तक कौन-कौन और कहां से आया था। आने वालों का उद्देश्य सिर्फ महंत से आशीर्वाद लेना था या फिर दूसरे कारणों से लोग यहां आए थे। महंत को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी, लिहाजा घटना वाले दिन किस-किस पुलिसकर्मी की ड्यूटी थी और उस वक्त वह कहां थे। इसके बारे में भी कई शिष्यों से सवाल जवाब किया गया।