मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अफसरों के अनुसार चूंकि विधान सभा भंग नहीं हुई है और वह अस्तित्व में है इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यवाहक मुख्यमंत्री नहीं बल्कि पूर्णकालिक मुख्यमंत्री के तौर पर अपने नियमित सरकारी कामकाज निपटाएंगे। जन कल्याण के लिए आपात स्थिति को छोड़कर मुख्यमंत्री अब कैबिनेट की बैठक भी नहीं बुला सकेंगे। कोई भी सरकारी फैसला लेने से पहले उन्हें इसके बारे में केन्द्रीय चुनाव आयोग के संज्ञान में सारे तथ्यों को लाना होगा। इसी क्रम में उ.प्र. के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से भी कहा गया है कि केन्द्र और राज्य में सत्ताधारी दल अपनी शक्तियों का इस्तेमाल चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए न करने पाएं। खासतौर पर चुनाव प्रचार अभियान में अपनी आधिकारिक स्थिति का कोई बेजा लाभ सत्ताधारी दल के नेता न उठाने पाएं। मुख्यमंत्री सहित राज्य के सभी मंत्री, आयोगों, संस्थानों, अकादमियों व अन्य सरकारी संस्थानों के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी किसी भी तरह की नयी जनकल्याणकारी योजना की घोषणा नहीं कर सकेंगे। यही नहीं इन लोगों पर अब किसी भी योजना, कार्यक्रम, निर्माण आदि का शुभारम्भ, शिलान्यास, उद्घाटन करने पर भी पाबंदी रहेगी। साथ ही मुख्यमंत्री, मंत्री, आयोगों, संस्थानों, अकादमियों के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी चुनाव प्रचार के लिए अपने सरकारी विमान व वाहन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। सरकारी गेस्ट हाउस, डाक बंगलों, में चुनाव प्रचार के लिए ठहर नहीं सकेंगे। सिर्फ जेड और इससे ऊपर की श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त नेताओं को इसमें छूट मिलेगी। मगर ठहराव के दौरान ऐसे नेता वहां से कोई राजनीतिक गतिविधि संचालित नहीं कर सकेंगे। शासन प्रशासन के अफसरों के तबादले अब केन्द्रीय चुनाव आयोग की अनुमति लेकर ही किये जा सकेंगे। मुख्यमंत्री और मंत्री अब अपनी निधि से कोई भी राशि न तो जारी करेंगे और न ही इसकी घोषणा करेंगे। सरकारी धन खर्च करके सरकार की उपलब्धियों के विज्ञापन भी अब मीडिया में नहीं दिये जा सकेंगे।