आबकारी नीति में होगा बदलाव, शुल्क का अंतर कम करने पर विचार

भोपाल । मध्य प्रदेश मेें शराब ठेकेदारों के एकाधिकार को खत्म करने के लिए सरकार प्रस्तावित आबकारी नीति में बदलाव करने जा रही है। अब शराब दुकानों के ठेके जिलेभर की दुकानों का एक या दो समूह बनाकर नहीं होंगे। इसकी जगह दो से पांच दुकानों के समूह बनाए जाएंगे। इससे ठेके लेने के लिए कई ठेकेदार आएंगे और प्रतिस्पर्धा होगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे राजसव अधिक मिलेगा। वहीं, मिलावटी शराब पर रोक लगाने के लिए देशी शराब की दर कम की जा सकती है। इससे खपत बड़ेगी और राजस्व के नुकसान की पूर्ति हो सकेगी। वर्ष 2022-23 की प्रस्तावित आबकारी नीति को लेकर दिसम्बर के दूसरे पखवाड़े में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में मंत्री समूह की बैठक हुई थी। इसमें वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों ने महाराष्ट,्र उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के प्राविधानों के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया था। इसमें बताया गया था कि देसी शराब की दर अधिक होने की वजह से मिलावटी शराब का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। इसकी वजह से हादसे भी होते हैं। इसे रोकने के लिए दरों को यदि कम किया जाता है तो शराब की खपत बढ़ेगी। इससे राजस्व को होने वाले नुकसान की प्रतिपूर्ति हो सकती है। एमएसपी और एमआरपी शुल्क के बीच का अंतर कम करने पर विचार किया जा रहा है ताकि शराब की दरें कम की जा सकें। प्रतिस्पर्धा से मिलेगा अधिक राजस्व : इसी तरह जिले में शराब दुकानों को एक या दो समूह में बांटकर ठेके करने से प्रतिस्पर्धा के अवसर कम हो जाते हैं और बड़े समूह की बोली लगाकर दुकानें ले लेते हैं। इससे चुनिंदा कारोबारियों का शराब व्यवसाय पर कब्जा हो जाता है। इससे भी राजस्व प्रभावित होता है। जब छोटे समूह बनाकर दुकानें नीलाम की जाएंगी तो अधिक बोलीदार सामने आएंगे। प्रतिस्पर्धा होगी और अधिक राजस्व भी मिल सकता है। देसी और विदेशी शराब के साथ बीयर में प्राफिट मार्जिन 35 से लेकर 20 प्रतिशत तक है। इसे एक समान करने पर भी विचार किया जा रहा है। प्रस्तावित नीति को लेकर अंतिम निर्णय कैबिनेट द्वारा किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2016-17 में आय 7519 करोड़, 2017-18 में 8233 करोड़, 2018-19 में 9506 करोड़, 2019-20 में 10773 करोड़ और वर्ष 2020-21 में 12000 करोड़ आबकारी से पांच सालों में सरकार को प्राप्त हुआ है।

Related Articles