नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारत-मध्य एशिया समिट में हिस्सा लिया। साथ ही अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर चिंता जताई। इस बैठक में पीएम ने एकीकृत तरीके से कनेक्टिविटी और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए अगले 30 वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार करने का सुझाव दिया। ये बैठक बहुत ही खास रही, क्योंकि इसके लिए भारत और मध्य एशियाई देशों के नेताओं ने एक समझौता किया है, जिसके तहत हर दो साल में एक शिखर सम्मेलन होगा। अब अगले शिखर सम्मेलन के लिए साल 2024 को चुना गया है। मामले में विदेश मंत्रालय की सचिव (पश्चिम) रीनत संधू ने कहा कि गुरुवार को भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के तहत पहली बैठक हुई, जिससे साफ होता है कि सभी देशों के राजनयिकों ने आपसी जुड़ाव के लिए अच्छा काम किया है। भारत और इच्छुक मध्य एशियाई देशों के बीच संयुक्त आतंकवाद निरोधी एक्सरसाइज को किया जाएगा। इसके अलावा भारत हर साल मध्य एशियाई देशों के 100 सदस्यीय युवा प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करेगा। संधू के मुताबिक भारत और मध्य एशियाई देश एक सामान्य शब्दों का शब्दकोश शुरू करेंगे, जो दोनों पक्षों की ओर से इस्तेमाल किए जाते हैं। इस शिखर सम्मेलन की बैठक में अफगानिस्तान में उभरती स्थिति, क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता पर इसके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की गई।सभी नेताओं ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन की बात कही। इसके अलावा सभी नेताओं ने अफगानिस्तान पर एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने का निर्णय लिया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।