इसरों के पूर्व वैज्ञानिक ने देश को किया अगाह, गांवों में बन रहे शौचालय देश के लिये बडा खतरा

लखनऊ। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एवं भारत वैभव पुस्तक के माध्यम से दुनियां को वैज्ञानिक अध्यात्मवाद का संदेश देने वाले डाक्टर ओम प्रकाश पांडे ने ग्रामीण इलाको में तेजी से बन रहे शौचालयों को देश के लिये बडा खतरा बताया है। उन्होने कहा कि स्वच्छता मिशन के तहत बनाये जा रहे शौचालय पश्चिमी सभ्यता पर आधारित है जो आने वाले सालों में भूमिगत पानी को विषाक्त करके तबाही की वजह बनेगे। उन्होने कहा कि ऐसी जगहों मे इन शौचालयों का निर्माण तत्काल रोकें जाने की जरूरत है जहां सीवर लाइन नही है और सोखता बनाकर इन्हे बनाया जा रहा है। खास बात यह है कि देश के इस चर्चित वैज्ञानिक ने यह बात ऐसे समय पर कही है जब केन्द्र सरकार स्वच्छता मिशन के तहत गांव-गांव बन रहे शौचालयों के अपनी बडी उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है।
डाक्टर पांडे रविवार को राजधानी लखनऊ में आयोजित ब्रह्म सागर महासंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि देश के निर्माण में राजनीति और राजनेताओं की भूमिका पर सवाल खडे किये और लार्ड मायकाले पर आधारित शिक्षा की वजह गुरूकुल पद्धति पर आधारित शिक्षा को आगे बढाने पर बल दिया। डाक्टर पांडे ने ओम शब्द के रहस्य का खुलासा करते हुये इसके पीछे की हकीकत को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ रखा। इसके साथ ही हिन्दू रीति-रिवाजों की मौजूदा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुये देश के इस वैज्ञानिक ने आध्यमिक तथ्यों के सामने रखा। संविधानसभा में डाक्टर भीमराव अम्बेडकर के 1953 के सम्बोधन का जिक्र करते हुये डाक्टर पांडे ने कहा कि आनन-फानन में बने देश के संविधान से डाक्टर अम्बेडकर खुश नहीं थे और उन्होने कहा था कि इसमे देश की आत्मा और आध्यात्म की हत्या कर दी गई है। डाक्टर पांडे ने कहा कि देश का निर्माण राजनेता या राजनीतिक पार्टियां नहीं करती है। राष्ट्र का निर्माण स्कूल की कक्षाओं से होता है। उन्होने कहा कि हिन्दुस्तान और हिन्दुत्व को बचाये रखने के लिये लार्ड मायकाले के सिद्धान्त पर आधारित शिक्षा व्यवस्था को खत्म किये जाने की सख्त जरूरत है। यह सभी संभव है जब गुरुकुल पर आधारित पुरानी शिक्षा पद्धति को बढावा देकर उसे आगे लाया जाये। उन्होने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में किसी भी दल की सरकारों से इस सुधार की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इसके लिये समाज को भी संकल्प के साथ आगे आना होगा।
सूर्य से आने वाली ओम ध्वनि पर नासा के साथ अपने वैज्ञानिक शोध का जिक्र करते हुये श्री पांडे ने कहा कि जिस सूर्य के हम देखते है उसके पीछे करोडों गुना बडा एक अन्य सूर्य है। जिससे निकलने वाली आवाज में ओम की ध्वनि सुनाई देती है। इस भारी-भरकम सूर्य का एक छोटा सा हिस्सा हम प्रथवीवासी सूर्य के रूप में देखते है।
अमरीका के शिकागों से आये धर्म गुरू स्वामी आन्नद ने कहा कि ब्रह्म समाज को उन सभी चीजों को फिर से अपनाना होगा जिसे वह भूल चुका है। उन्होने कहा कि धर्म तथा ज्ञान के रास्ते पर चल कर आपस में झगडने की बजाय छोटी-छोटी बातों में आपस में झगडने की आदत ‍बदलनी होगी। उन्होने कहा कि अपने ज्ञान के दम पर ब्रह्मण सत्ता का मार्ग दर्शन करता आया है। उसने सरकारें बनायी है। ज्ञान की ताकत को बढाकर ब्रह्मण समाज फिर अपने को मजबूत और ताकतवर बना सकता है। कार्यक्रम में ब्रह्म सागर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैप्टन एसoकेo द्विवेदी ने मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुये महासंघ के गठन और उसकी जरूरत के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होने कहा कि ब्रह्मण समाज को सोची-समझी रणनीति और उनमे फूट डालकर सनियोजित तरीके से पीछे धकेला जा रहा है। चाहे जिस किसी दल की सरकारें हो हर किसी में ब्रह्मणों की उपेक्षा की जा रही है और उन्हे समाज तथा सरकार में उनके हिस्से की भागीदारी नहीं मिल पा रही है। इस मौके पर अतिथियों तथा ब्रह्म सागर महासंघ के पदाधिकारियों को प्रशस्ति पत्र तथा अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया है। सम्बोधन कार्यक्रम के बाद ब्रह्म सागर महासंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आगे की रणनीति तथा मंथन करके कई अहम निर्णय लिये गये।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)

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