लखनऊ । ज्योतिष में गुरु वृहस्पति का खास महत्व है शुभता के प्रतीक गुरु के गोचर होने की घटना मात्र से ही जीवन में परिवर्तन आता है। ज्ञान, कर्म, विवाह,धन व पुत्र प्राप्ति में गुरु की विशेष कृपा होती है। जिनकी कुंडली में गुरु वृहस्पति का वास होता है वह आध्यात्म की ओर बढ़ता है। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि गुरु वृहस्पति का तारा 24 फरवरी से 26 मार्च तक 31 दिन तक अस्त रहेगा। 14 मार्च से 14 अप्रैल मीन खरमास रहेगा जिसके कारण विवाह नहीं होगें। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि मार्च में विवाह मुहूर्त नहीं हैैं। 15 अप्रैल से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे और 10 जुलाई तक विवाह रहेंगे। 10 जुलाई से देवशयनी एकादशी से चार नवंबर देवोत्थानी एकादशी तक चातुर्मास होने के कारण चार माह तक विवाह आदि कार्य नहीं होंगे। दो अक्टूबर से 20 नवंबर तक शुक्र तारा अस्त है जिसके कारण विवाह 24 नवंबर से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।
गुरु अस्त होने का मुहूर्तः गुरु वृहस्पति 24 फरवरी को सुबह 8:50 बजे, कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे। 26 मार्च को शाम 6:36 बजे उदित होंगे। आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि गुरु के अस्त होने से कर्क, मीन और धनु राशियों पर प्रभाव पड़ेगा। वृषभ, तुला, कन्या राशि वालों के लिए गुरु का अस्त होना शुभता का प्रतीक है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि गुरु के प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए पीले वस्त्र और पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। गुरुओं के सम्मान के साथ ही मरीजों को फल देने से व्याधियों में कमी होती है।