नैमिषारण्य से ग्यारह दिवसीय 84 कोसी परिक्रमा शुरू

सीतापुर। नैमिषारण्य में जय श्रीराम के उद्घोष के साथ 84 कोसी परिक्रमा का शुभारंभ गुरुवार तड़के मां ललिता देवी चौराहे से हुआ। इस मौके पर पहला आश्रम के महंत नन्हकू दास ने डंका बजाया तो श्रद्धा की डगर पर आस्था का जन सैलाब सीताराम सीताराम करते हुए पहले पड़ाव कोरौना की तरफ कूच किया। परिक्रमा के शुभारंभ के अवसर पर वेदव्यास पीठाधीश्वर महंत अनिल शास्त्री, बनगढ़ के महंत संतोष दास खाकी मेला अधिकारी गौरव रंजन ने परिक्रमार्थियों काे माला पहनाकर स्वागत किया। इससे पहले सुबह के तीन बजते ही नैमिषारण्य में चहल पहल दिखने लगी। संत-महंत व श्रद्धालु परिक्रमा की तैयारी में जुट गए। पहला आश्रम में डंका बजते ही चौरासी कोसीय परिक्रमा पथ रामनाम के जयघोष से गूंज उठा। सिर पर और हाथों में सामान की गठरी उठाए परिक्रमार्थी परिक्रमा के पहले पड़ाव की ओर बढ़ चले। पहला महंत नन्हकू दास संतों के साथ ललिता मंदिर के समीप पहुंचे। स्वागत के बाद संतो-महंतों की टोलियों के साथ साथ देश के कई प्रान्तों के श्रद्धालु रामनाम के जयकारे व भजन कीर्तन और नाचते गाते आस्था की डगर पर निकल पड़े। रास्ते की तमाम मुश्किलों से बेपरवाह श्रद्धालुओं का कारवां राम नाम के सहारे परिक्रमा पूरी करने के लिए उत्साहित दिखा। नैमिषारण्य-मिश्रिख की पौराणिक चौरासी कोसी परिक्रमा सुबह पहला आश्रम में डंके की आवाज गूंजने के साथ ही शुरू हो गई। आश्रम में डंका बजने के बाद घोड़े पर सवार करिया बाबा ने डंका बजाते हुए पूरे नैमिष का भ्रमण किया। आश्रमों में, मंदिरों धर्मशालाओं में, सड़कों के किनारे विश्राम कर रहे परिक्रमार्थी परिक्रमा पथ पर निकल पड़े। सिर पर सामान की गठरी उठाए महिलाएं, बच्चे व बुजुर्गों में परिक्रमा के प्रति गहरी आस्था दिखाई दी। पहला महंत नन्हकू दास भव्य रथ पर सवार होकर पहुंचे थे। उनके साथ कई संत भी थे। संस्कृत स्कूल के छात्र हाथ में ध्वज लेकर चल रहे थे। बैंड-बाजे के साथ पहुंचे महंत ने चक्रतीर्थ का पूजन किया। मेला अधिकारी गौरव रंजन तहसीलदार राजकुमार गुप्ता, पुलिस क्षेत्राधिकारी सुशील यादव, तीर्थ पुजारी राजनारायण पांडेय, माताजी रामानुज कुमारी ने संतो और श्रद्धालुओं पर फूल बरसाए।मिश्रिख क्षेत्र के शिवथान के सत्य प्रकाश साइकिल से परिक्रमा को आए। बताया कि पिताजी की तबीयत खराब है। वह सात परिक्रमा कर चुके है। तबीयत खराब होने के कारण इस बार पिताजी के स्थान पर वह खुद परिक्रमा में शामिल होने पहली बार आए हैं। अनुज कुमार बढ़ईया गांव से आए हैं। वह बांए पैर से दिव्यांग हैं। साइकिल से आए हैं। बताया कि इस बार उनकी दूसरी परिक्रमा हैं। भिंड राजस्थान के ज्ञान सिंह पहली बार परिक्रमा में आए हैं। बताया, बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने 88 हजार ऋषियों की तपोस्थली के बारे में बहुत कुछ सुना था। वास्तव में वैसा ही है।

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