प्रयागराज । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज व एमआरबी डाटा सर्विसेज प्रा. लि. कंपनी की मिलीभगत से परीक्षाओं में धांधली को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। उन्हें दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि खासतौर पर विवेचना की स्थिति की स्पष्ट जानकारी दी जाए। याचिका की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने राम सिंह व छह अन्य की याचिका पर दिया है।याचियों ने कंपनी के डायरेक्टर व अन्य अधिकारियों के खिलाफ दर्ज आठ एफआइआर की सही से जांच करने तथा प्राधिकारी सदस्यों के परिवार की संपत्ति को जांच के दायरे में लाने की मांग की गई है। याची का कहना है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती सहित तमाम परीक्षाओं में परीक्षा नियामक प्राधिकारी और कंपनी के डायरेक्टरों की मिली भगत से गोपनीयता भंग की गई है। करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे किये गए हैं। कंपनी पर प्राधिकारी सदस्यों के परिवारों को भारी धनराशि देने के आरोपों की भी जांच की मांग की गई है। मुरादाबाद, बागपत, गाजियाबाद में दर्ज एफआइआर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। कंपनी पर बेरोजगारों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी, जालसाजी करने का आरोप लगाया गया है।कंपनी के डायरेक्टर रामनरेश शर्मा, उनकी पत्नी, बेटों बहुओं व वरिष्ठ प्रोग्रामर विवेक गोयल, परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाया गया है।