किस दिशा में बैठकर भोजन ग्रहण करना होता है शुभ

दैविक काल से भारत में भूमि पर बैठकर केले के पत्ते पर भोजन ग्रहण करने की प्रथा है। वर्तमान समय में भी लोग खाने के समय इन नियमों का पालन करते हैं। हालांकि, पश्चिमी सभ्यता में भोजन ग्रहण करने के नियम अलग हैं। लोग भोजन ग्रहण करने के लिए कुर्सी टेबल का उपयोग करते हैं। इस दौरान दिशा का भी ख्याल नहीं रखा जाता है। सभी लोग एक दूसरे के आमने सामने बैठते हैं। वास्तु जानकारों की मानें तो भोजन ग्रहण करते समय दिशा का अवश्य ख्याल रखना चाहिए। अगर लापरवाही बरतते हैं, तो शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आइए वास्तु से जानते हैं कि किस दिशा में बैठकर भोजन करना श्रेष्कर होता है वास्तु जानकारों की मानें तो दक्षिण दिशा की ओर मुखकर कभी भोजन नहीं करना चाहिए। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है। खासकर पाचन संबंधी परेशानियां होती हैं। साथ ही आर्थिक परेशानियां बढ़ती हैं। कई वास्तु कारों की मानें तो दक्षिण दिशा में बैठकर खाने से दुर्भाग्य में वृद्धि होती है। इसके लिए दक्षिण दिशा में बैठकर खाना न खायें।जानकारों की मानें तो उत्तर दिशा में बैठकर भोजन ग्रहण सबसे उत्तम होता है। इस दिशा में बैठकर भोजन ग्रहण करने से विद्या और आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि होती है। अगर आप कुछ नया करने की सोच रहे हैं, तो उत्तर दिशा में बैठकर भोजन ग्रहण करें। इससे काम के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप मानसिक तनाव से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो पूर्व की दिशा में मुखकर भोजन ग्रहण करें। इससे मानसिक परेशानी से निजात मिलेगा। साथ ही भोजन से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। ऐसा कहा जाता है कि बीमार और वृद्ध व्यक्ति को पूर्व की दिशा में मुखकर भोजन ग्रहण करना चाहिए। इससे उनकी बिगड़ी सेहत में सुधार होता है।

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