नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भाग लिया. विदेश मंत्री देश से बाहर हैं और इसलिए बैठक में शामिल नहीं हुए.
सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी को अफगानिस्तान में मौजूदा और विकसित हो रही सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. सीसीएस को हाल ही में भारतीय दूतावास के अधिकारियों और भारतीय समुदाय के कुछ सदस्यों के साथ-साथ भारतीय मीडिया के कुछ सदस्यों की निकासी के बारे में भी जानकारी दी गई.
प्रधानमंत्री ने सभी संबंधित अधिकारियों को आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया.
कार्यवाही की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत को न केवल अपने नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए, बल्कि हमें उन सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों को भी शरण देनी चाहिए जो भारत आना चाहते हैं और हमें हर संभव सहायता भी प्रदान करनी चाहिए, मदद के लिए भारत की ओर देख रहे हमारे अफगान भाइयों और बहनों की मदद करें.”
बैठक में पीएम के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा, एनएसए अजीत डोभाल और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा समेत विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और राजदूत रुद्रेंद्र टंडन भी मौजूद थे. राजदूत टंडन काबुल से आज सुबह आई उड़ान से दिल्ली आए हैं.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है. इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.