नई दिल्ली। हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस प्रकार वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल को है। इस दिन साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। अमावस्या तिथि को अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को चंद्र ग्रहण लगता है। इस तरह वैशाख अमावस्या को पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। ग्रहण को लेकर दो मत है। एक विज्ञान के तहत ग्रहण की गणना की जाती है। दूसरा धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण की गणना की जाती है।
सूर्य ग्रहण तीन तरह के होते हैं, जो क्रमशः पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण हैं। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के समय राहु और केतु का नकारात्मक प्रभाव रहता है। अतः ग्रहण के समय धार्मिक अनुष्ठान और शुभ काम करने की मनाही होती है। खासकर गर्भवती महिलाओं को सेहत का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। आइए, सूर्य ग्रहण के बारे में सबकुछ जानते हैं-
सूतक समय
ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के पूर्व काल को सूतक कहा जाता है। सूर्य ग्रहण का सूतक काल अधिक और चंद्र ग्रहण का सूतक काल कम होता है। सूर्य ग्रहण के समय सूतक चार प्रहर पहले शुरू होता है। एक प्रहर 3 घंटे का होता है। इस तरह सूर्य ग्रहण में 12 घंटे का सूतक रहता है। ज्योतिषियों की मानें तो यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। ग्रहण न दिखने के चलते सूतक भी नहीं लगेगा। इसके लिए सूर्य ग्रहण के दौरान कोई पाबंदी नहीं होगी। आसान शब्दों में कहें तो व्यक्ति सामान्य दिनों की तरह जीवन यापन कर सकते हैं। सूर्य ग्रहण 07 बजकर 04 मिनट से प्रारम्भ होकर दिन के 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा।
कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
20 अप्रैल को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण उत्तर पश्चिम केप, पश्चिमी आस्ट्रेलिया, पूर्वी तिमोर के पूर्वी भागों में व डामर द्वीप में दिखाई देगा। भारत में यह नहीं दिखाई देगा। आसान शब्दों में कहें तो भारत में सूर्य ग्रहण नहीं पड़ रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह हाइब्रिड ग्रहण है। सरल भाषा में हाइब्रिड को संकर ग्रहण कहते हैं।
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