२०२१ में भाजपा से चुनावी जंग में कौन मारेगा बाजी,योगी, प्रियंका, अखिलेश या मायावती?

अमित त्रिपाठी : राजनीतिक विशेषज्ञ कि माने तो आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रियंका गांधी की जिस तरीके से एंट्री हुई है वह निश्चित तौर पर कांग्रेस को बहुत कुछ हासिल करने की राह पर ले जा सकती है।राजनीतिक विशेषज्ञ एएन सिंह कहते हैं कि आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रियंका गांधी की जिस तरीके से एंट्री हुई है वह निश्चित तौर पर कांग्रेस को बहुत कुछ हासिल करने की राह पर ले जा सकता है। अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं तो आकलन इस बात का भी किया जा रहा है कि कौन सी राजनीतिक पार्टी जमीनी स्तर पर सबसे ज्यादा अपनी पैठ बना रही है।

2017 में विधानसभा चुनाव के बाद जब भाजपा ने सत्ता संभाली तो विपक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी ही 47 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के तौर पर बनी। उसके बाद 19 सीटों के साथ बहुजन समाज पार्टी दूसरे नंबर पर और सात सीटों के साथ कांग्रेस तीसरे नंबर पर बतौर विपक्षी पार्टी रही। डॉक्टर भास्कर के मुताबिक सरकार बनने के बाद से ही समाजवादी पार्टी लगातार विपक्ष की भूमिका में जो उससे बन पड़ता था वह करती रही। लेकिन 2019 से कांग्रेस ने अपने संगठनात्मक फेरबदल के साथ ही आक्रामक भूमिका के तौर पर जमीन बनानी भी शुरू कर दी। हालांकि सात विधायकों वाली तीसरे नंबर की विपक्षी पार्टी होने के चलते पार्टी ने अपने नवनिर्वाचित अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को सामने रखकर धीरे-धीरे प्रियंका गांधी को आगे करना शुरू किया और प्रमुख विपक्षी पार्टी के तौर पर भी जगह बनानी शुरू कर दी।राजनीतिक विशेषज्ञ एएन सिंह कहते हैं कि आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रियंका गांधी की जिस तरीके से एंट्री हुई है वह निश्चित तौर पर कांग्रेस को बहुत कुछ हासिल करने की राह पर ले जा सकता है। हालांकि शुक्ला का कहना है कि पार्टी बेशक मजबूत हो लेकिन उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे के नजरिये से इसे अभी भी बहुत असरदार नहीं माना जा रहा। क्योंकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सक्रियता तो दिख रही है लेकिन वह वोटों में कितनी तब्दील होगी इस बात को लेकर अभी भी संशय बरकरार है। । राजनीतिक विश्लेषक अरुण सहाय कहते हैं ऐसे में बतौर विपक्ष की पार्टी के तौर पर जो किया जाना चाहिए वह समाजवादी पार्टी के नेता लगातार करते आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार मैदान में उतर कर कई बड़े मामलों में प्रदर्शन करते रहे हैं। समाजवादी पार्टी की नेता पूजा शुक्ला कहती हैं कि 2017 में सहारनपुर में दलितों की हत्या के बाद में समाजवादी पार्टी ने जिस तरीके से आंदोलन खड़ा किया था वह एक मिसाल है। पूजा कहती है कि उन्नाव रेप कांड में भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत उनकी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

Related Articles