छरहरी काया के साथ ही दिमागी सुकून भी देती है डांस थेरेपी

नयी दिल्ली! हर समुदाय के लोग सदियों से नाच-गाकर अपनी खुशी जाहिर करते आ रहे हैं। पारंपरिक रूप से नाचने को हर्ष- उल्लास की अभिव्यक्तिका माध्यम माना जाता था लेकिन अब डांस का उपयोग प्रतिभा के रूप में ही नहीं बल्कि मानसिक रोगों के उपचार के लिए भी किया जा रहा है। इस बारे में एक रिसर्च की गई। जिसमें शामिल अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि आजकल यह थेरेपी शरणार्थियों का तनाव और अवसाद दूर करने में भी मददगार साबित हो रही है।

रिसर्च के मुताबिक डांस के दौरान व्यक्ति खुश रहता है जिससे उनके ब्रेन से डोपामिन हॉर्मोन का सिक्रीशन तेजी से होता है, जो खुशी का एहसास दिलाकर चिंता, उदासी, तनाव और दर्द को दूर करता है।डिप्रेशन और एंग्जाइटी के मरीजों पर नृत्य का सकारात्मक प्रभाव नजर आ रहा है। इससे संबंधित क्लिनिकल रिसर्च के बाद यह रोचक तथ्य भी सामने आया कि डांस से जुड़ी शारीरिक गतिविधियां ऑटिज्म जैसी मानसिक दुर्बलता से पीड़ित बच्चों और डिमेंशिया जैसे मनोरोगों से जूझ रहे बुजुर्गो को भी काफी राहत देती हैं। अगर दवाओं के साथ इस थेरेपी का भी उपयोग किया जाए तो लोगों के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है। कैलोरी बर्न करने के लिए तो डांस को कारगर माना ही जाता था लेकिन अब दिमागी सुकून और शांति के लिए भी यह प्रभावी माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

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