प्रयागराज न्याय बोर्ड का फैसला : 28 वर्ष बाद मोर को मारने के आरोप से बरी

प्रयागराज । प्रयागराज में एक अनोखा मामला सामने आया है। किशोर न्याय बोर्ड प्रयागराज ने 28 वर्ष पूर्व एक मोर को मारने के मामला का निस्तारण कर दिया है। बोर्ड ने आरोपित किशोर को दोषमुक्त कर दिया है। यह आदेश प्रधान मजिस्टेट शिवार्थ खरे व सदस्य नरेंद्र कुमार साहू और शीला यादव ने दिया। मोर को मारने का आरोपित वर्तमान समय में वयस्क हो चुका है। मोर को जिस समय जान से मारा गया था उस समय आरोपित उस समय 15 वर्ष का था। वह जंगली मोर को पानी, दाना देता था। इस कारण से मोर उसका पालतू जानवर जैसा बन गया था। हालांकि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा माेर पर लाठी से प्रहार करके उसको जान से मार दिया गया था।मोर को जान से मारने के मामले में वन अधिकारियों की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें किशोर पर अवैध रूप से पालने का आरोप था। किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि बालक भली सोच रखते हुए जानवर को दाना देता था। बच्चों का स्वाभाविक गुण होता है कि जब वे कोई सुंदर व प्यारा जानवर देखते हैं तो वे उससे दोस्ती करने का प्रयास करते हैं। कुछ न कुछ खिलाने, पिलाने लगते हैं। ऐसी उम्र में ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती कि बालक को यह ज्ञान होगा कि मोर को पालना एक विधि विरूद्ध काम है और राष्ट्रीय पक्षी को दाना देना विधि विरूद्ध है।किशोर न्‍याय बोर्ड ने कहा कि बच्चों की मनोवृत्ति होती है कि यदि जानवर हिंसक न हो तो उससे दोस्ती करने के लिए बच्चे आतूर रहते हैं। ऐसे में मोर जैसे खूबसूरत पक्षी से दोस्ती करना एक बालक के नजरिए से गलत नहीं था एवं उसको यह भान भी नहीं था कि उसके द्वारा किया गया कृत्य विधि विरूद्ध था।

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