होली का त्योहार हो और गुझिया की बात न हो तो अटपटा लगता है। होली पर घर-घर लजीज गुझिया बनाने की परंपरा है। गुझिया खोवा और मेवा से बनता है। इसलिए खोवा की मांग भी बढ़ गई है। होली निकट है तो खोवा के बाजार भी सजने लगे हैं। अब मांग अधिक होने के अनुपात में पूर्ति नहीं हो पाती। इसकी आड़ में मिलावटी खोवा भी बाजार में बिकने लगता है। हालांकि असली और मिलावटी खोवे की पहचान कम लोगों को ही होती है। ऐसे में यहां हम आपको बता रहे हैं कि इसकी पहचान कैसे करें। मिलावट के कारण स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। होली त्योहार के पास आते ही शहर में मिलावटी बाजार में मिलावटी खोवा की भरमार है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है ताकि मिलावट कहीं त्योहार का रंग न फिका कर दे। बाजार में बढ़ी खोवा की मांग की पूर्ति के लिए दुकानदारों द्वारा मिलावट का प्रयोग किया जा रहा है। मिलावटी खोवा बनाने के लिए मिलावटखोर दूध की बजाए दूध पाउडर, रसायन, आलू, शकरकंद, रिफाइंड तेल आदि प्रयोग करते हैं। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए पानी में डिटर्जेट पाउडर, तरल जैल, चिकनाहट लाने के लिए रिफाइंड व मोबिल आयल एवं एसेंट पाउडर डालकर दूध को बनाया जाता है। यूरिया का घोल व उसमें पाउडर व मोबिल डालकर भी सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। इसमें थोड़ा असली दूध मिलाकर सोख्ता कागज डाला जाता है। इससे नकली खोवा के अलावा पनीर भी तैयार किया जाता है।खोवा में मिलावट की पहचान आयोडीन जांच या फिर चखकर उसके स्वाद और रंग से की जा सकती है। मिलावटी खोवा से बचने के लिए उसे पूरी तरह जांच परख लें। मिलावटी या नकली खोवा का स्वाद व रंग सामान्य से विभिन्न और कुछ खराब होता है।इन दिनों बाजार में शुद्ध खोआ की कीमत 180 रुपये से लेकर 200 तक है। होली पर उपलब्धता कम और मांग बढऩे के कारण आपूर्ति को तो मिलावटी मावा पूरी कर देता है लेकिन शुद्ध मावे के दाम बढ़ जाते हैं। कुछ दुकानदार मिलावटी व सही मावे को भी एक ही दाम पर बेचते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि मिलावट का पता लगाना आसान नहीं है।