Up News -अमृत भारत योजना के तहत चल रहा गाजियाबाद रेलवे स्टेशन का विकास कार्य ट्रेनों की लेट लतीफी की तरह धीमी गति का शिकार हो गया है। इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अगस्त 2023 में किया था। प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 25 अगस्त 2025 की समय सीमा तय की गई थी, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है, उससे आने वाले ढाई साल में भी काम पूरा होने की संभावना नहीं है। अभी तक महज 25 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है।
इस कार्य के लिए अनुमानित लागत 365 करोड़ में से करीब 65 करोड़ रकम ही खर्च हो पाई है। यह स्थिति तब है जब लगातार कार्यदायी संस्था को काम में तेजी लाने के लिए जिम्मेदार लिखित और मौखिक हिदायत दे रहे हैं। लगातार उच्चाधिकारियों के स्तर से बैठकें भी हो रही हैं।
प्लेटफाॅर्मों पर शुरुआत भी नहीं
शहर साइड में केवल एक बिल्डिंग और विजयनगर साइड में अधिकारियों के कार्यालय का काम चल रहा है। इसमें भी 50 फीसदी काम पूरा हो पाया है। इसको पूरा करने में भी एक साल का समय लगेगा। प्लेटफाॅर्म नंबर छह के पास निर्माण की अभी शुरुआत है और अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर कोई भी काम नहीं हो पाया है।
यात्रियों को हो रही दिक्कत
गाजियाबाद स्टेशन पर रोजाना 80 हजार से ज्यादा लोगों की आवाजाही रहती है। ये काम जब से शुरू हुआ है, तबसे यहां हर वक्त धूल उड़ती रहती है। स्टेशन को जाने वाले रास्ते पूरी तरह बदहाल हैं। पुराने निर्माण तोड़े जाने की वजह से कार्यालयों में काम भी नहीं हो पा रहा है। रेलवे कर्मचारी भी परेशान हैं। यात्रियों को बैठने और पीने के लिए पानी तक भी स्वच्छ नहीं मिल पा रहा है। शौचालय टूटे पड़े हैं और वहां बदबू उठती रहती है। मामूली बूंदाबांदी में ही रास्ते में पानी भर जाता है। इससे यात्री टिकट तक नहीं ले पा रहे हैं। प्रतीक्षालय की स्थिति भी खराब है। शिकायत करने पर रेलवे स्टेशन का विकास कार्य गतिमान होने की बात कहकर जिम्मेदार अपनी जवाबदेही से बचते हैं।
इस बारे में नॉर्दर्न रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि निर्माण कार्य की स्थिति के बारे में कार्यदायी संस्था से पूछा जाएगा। तय समय सीमा में काम न करने पर विभागीय कार्रवाई की जा रही है।