सुप्रीम कोर्ट ने कानपुर में विकास दुबे मुठभेड़ कांड की जांच के लिए गठित आयोग के पुनर्गठन की मांग को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता मे तीन सदस्यीय आयोग कानपुर विकास दुबे मुठभेड़ कांड की जांच कर रहा है। याचिकाकर्ता ने जांच आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीएस चौहान को लेकर सवाल खड़े किए थे। कहा गया था कि रिटायर्ड जज बीएस चौहान के कई रिश्तेदार भाजपा में हैं और उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है, ऐसे में जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी जांच आयोग से जस्टिस शशिकांत और पूर्व डीजीपी के एल गुप्ता को हटाने से इनकार करते हुए आयोग के पुनर्गठन की अर्जी खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे मुठभेड़ कांड की जांच कर रहे आयोग के पुनर्गठन की मांग वाली अर्जी खारिज कर दी। अर्जी में जांच आयोग पर सवाल उठाए गए थे। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यी पीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि इसमें सिर्फ मीडिया रिपोर्ट के आधार पर आशंकाएं जताई गई हैं जो स्वीकार करने लायक नहीं हैं। अर्जी में आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत न्यायाधीश बीएस चौहान और पूर्व आइपीएस केएल गुप्ता के बारे में सवाल उठाते हुए एक वेबसाइट में आई खबर को आधार बनाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सारी दलीलें खारिज करते हुए कहा कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्य उच्च संवैधानिक पदों पर रह चुके हैं। याचिकाकर्ता सारे आरोप सिर्फ न्यूज रिपोर्ट के आधार पर लगा रहा है। उसने आरोपों के समर्थन में कोई भी सहयोगी सुबूत पेश नहीं किया है कि किस तरह उनके रिश्तेदार जांच प्रभावित कर सकते हैं। क्या वे लोग प्रभावी स्थिति में हैं। कोर्ट ने कहा कि यह याद रखा जाना चाहिए कि यहां बात जांच आयोग की हो रही है जिसका गठन कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत हुआ है। आयोग की भूमिका कार्य और दायरे परिभाषित हैं।