लखनऊ । देश की आंतरिक सुरक्षा की चुनौती अब केवल कानून-व्यवस्था की चुनौती नहीं, बल्कि फोर्थ जेनरेशन वारफेयर का अहम हिस्सा बन चुकी है। सीमा पर आमने-सामने आने के बजाए दुश्मन, देश के भीतर अस्थिरता पैदा करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष देशभर के शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने आंतरिक सुरक्षा की ऐसी बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए गहन विचार-विमर्श किया। कहा गया कि राज्यों में आपसी टकराव व भेदभाव के छोटे-छोटे मुद्दों को सामान्य रूप से कानून-व्यवस्था के तौर पर न देखें, बल्कि उसे बड़ा षड्यंत्र के रूप में देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जाए।
पीएम की लगभग 12 घंटे की मौजूदगी में चले मंथन की मंशा यही है कि आतंकी मंसूबों को भारत अब और मजबूती से कुचलने के लिए तैयार होगा। राजधानी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को दिनभर आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ आतंकवाद, साइबर अपराध, तटीय सुरक्षा, नक्सलवाद, मादक पदार्थों की तस्करी के बदलते तरीकों व अन्य चुनौतियों पर न सिर्फ गहन मंथन किया, बल्कि अहम सुझाव भी दिए। इनसे निपटने के लिए की जा रही तैयारियों को भी परखा। इस दौरान खासकर सीमा पर प्रवास, देश को बदनाम करने के लिए विदेश से हो रही फंडिंग तथा इसमें विभिन्न एनजीओ की भूमिका को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई। साथ ही राज्यों की पुलिस व जांच एजेंसियों के बीच आपसी समन्वय को बढ़ाने की बात दोहराई गई। प्रधानमंत्री रविवार को तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन करेंगे।