नई दिल्ली । भारत ने पिछले दो साल में अमेरिका को आम का निर्यात नहीं किया है। निर्धारित व्यवस्था के तहत फल और पौधों की सेहत की निगरानी से जुड़ा अमेरिकी निरीक्षक यहां आकर प्रक्रिया को देखता है। इसे निर्यात से पहले पूर्व मंजूरी प्रक्रिया कहते हैं। निरीक्षक 2020 और 2021 में नहीं आये।व्यापार नीति मंच की बैठक के दौरान वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने भारत से आम, अनार के निर्यात और अमेरिका से चेरी और पशुओं के लिये चारे में उपयोग होने वाले ‘अल्फाल्फा हे’ के आयात के उपायों पर काम करने पर बनी सहमति का स्वागत किया। संयुक्त बयान के अनुसार भारत से आम और अनार के निर्यात को सुगम बनाने के लिये अमेरिका दोनों फलों के लिए पूर्व मंजूरी कार्यक्रम/ विकिरण के नियामकीय निरीक्षण के हस्तांतरण को अंतिम रूप देगा और भारतीय अधिकारियों को सौंपेगा।अधिकारी ने कहा कि भारतीय आम फिलहाल अमेरिका को निर्यात योग्य नहीं है।
लेकिन अब इसके निर्यात की संभावना बनी है क्योंकि दोनों पक्ष निर्यात को लेकर मुद्दों के समाधान पर सहमत हुए हैं। अब हमारे निरीक्षक आम का निरीक्षण करेंगे। हमारी निगरानी व्यवस्था को अमेरिका स्वीकार करेगा। इसका मतलब है कि अब हमारे आम को उनकी प्रयोगशालाओं में परीक्षण की जरूरत नहीं है बल्कि हमारे प्रयोगशाला प्रमाणपत्र को वे स्वीकार करेंगे। इस प्रक्रिया पर सहमति बनी है। हम उनका प्रमाणपत्र स्वीकार करेंगे और वे (अमेरिकी निरीक्षक) प्रमाणन के लिये भारत नहीं आएंगे।इस आधार पर आप कह सकते हैं कि दशहरी और लंगड़ा जैसे आम की किस्में अब न्यूयॉर्क और दूसरे अमेरिकी शहरों में उपलब्ध होंगी। वहीं कैलीफोर्निया की चेरी दिल्ली के सुपर मार्केट में उपलब्ध होगी। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि अमेरिका भारत के लिए एक प्रमुख बाजार है और इसकी पहुंच न केवल निर्यात को बढ़ावा देगी बल्कि आम उत्पादकों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य प्राप्त करने में भी मदद करेगी।