नई दिल्ली । जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर जुल्म और पलायन पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स जहां एक ओर बाक्स आफिस पर धमाल मचा रही है, वहीं दूसरी ओर इस पर सियासत चरम पर पहुंच गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिल्म की तारीफ की है। उन्होंने कहा यह मामला अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़ा है। इसके बाद कांग्रेस व भाजपा विरोधी दलों ने फिल्म के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया है कि फिल्म मेकर बताएं यह फिल्म डाक्यूमेंट्री है या कमर्शियल। उन्होंने कहा कि उस वक्त वीपी सिंह साहब की हुकूमत थी, उनके पीछे भाजपा खड़ी हुई थी। नेशनल कांफ्रेंस के नेता मुस्तफा कमाल ने भी एक विवादित बयान दिया है। कमाल ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वह उनकी अपनी मर्जी से हुआ। उन्होंने कहा कि 1990 में हुई इस घटना के लिए फारूक अब्दुल्ला जिम्मेदार नहीं थे, उस समय राज्य में जगमोहन की सरकार थी और उसके जिम्मेदार वह थे। दरअसल, द कश्मीर फाइल्स फिल्म के विवाद की शुरुआत कपिल शर्मा के एक शो से हुई। कपिल शर्मा के शो के दौरान जब एक फैन ने फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री से पूछा कि वह द कपिल शर्मा शो में फिल्म को प्रमोट करने के लिए क्यों नहीं गए। उस वक्त विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीटर यूजर फैंस को जवाब दिया। निर्देशक ने दावा किया था कि कश्मीर फाइल्स को कपिल ने प्रमोट करने से मना कर दिया था, फिर क्या था, इसके बाद सोशल मीडिया पर बायकाट कपिल शर्मा ट्रेंड शुरू हो गया था। मामला बढ़ता देख कपिल शर्मा ने ट्वीट कर इन बातों में कोई सच्चाई नहीं होने की बात कही। इसके बावजूद कपिल शर्मा को विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद इसकी आंच सियासी गलियारे तक पहुंच गई।केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस फिल्म देखने के बाद कहा था कि जो लोग ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बैन करने की वकालत कर रहे हैं, वह देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस फिल्म को गांव की चौपाल तक दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज ममता बनर्जी का वही रोल है, जो कभी कश्मीर में राजनेताओं का था।