लखनऊ। हाल में स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान सहित कुछ अन्य ओबीसी नेताओं के पार्टी छोड़ जाने के बाद यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य का भाजपा में कद और बढ़ गया है। इन नेताओं के पार्टी छोड़ने के निर्णय के तुरंत बाद केशव मौर्य हर तरफ उनसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार की अपील करते नज़र आ रहे थे। इसके साथ ही दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराने से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर लगातार तीखे वार करने तक हर कहीं वे सक्रिय भूमिका में नज़र आते हैं। इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता कि केशव मौर्य का यूं अचानक हर जगह दिखना ओबीसी नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद से कहीं ज्यादा बढ़ा है। वे ज्यादा नज़र आने लगे हैं। गौरतलब है कि ज्यादातर ओबीसी नेताओं ने बीजेपी छोड़ते वक्त पार्टी में पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाया। केशव मौर्य इन नेताओं के बयानों का जवाब देने सबसे आगे रहे। केशव प्रसाद मौर्य ने पिछड़ों को एक बार फिर से अपने साथ लाने का अभियान शुरू कर दिया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को चेहरा बनाकर पिछड़ों को जोड़ा था। जानकारों का कहना है कि कुछ ओबीसी नेताओं के जाने से कहीं पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों से पार्टी की दूरी न हो जाए इस सोच के तहत बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी है। इसी रणनीति के तहत केशव प्रसाद मौर्य को आगे किया गया है। बताया जा रहा है उन्हें 2017 के विधानसभा चुनावों में जिस भूमिका में रखा गया था, उसी भूमिका में एक बार फिर से पिछड़ों के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर सामने रखा जाएगा। कोशिश होगी कि इस वर्ग में एक बार फिर से वही विश्वास बने ताकि बीजेपी की सत्ता में वापसी हो सके।