लखनऊ । पूरे उत्तर प्रदेश में आज महाशिवरात्रि का पर्व पूरी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर सभी शिवालय बम भोले के जयकारों से गूंज उठे। आधी रात से कांवड़ियों ने कांवड़ चढ़ाना शुरू किया, जो मंगलवार सुबह तक जारी रहा। शिव मंदिरों पर आधी रात से ही कांवड़ियों की कतार लग थी। काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में सुबह से आस्था का अनवरत क्रम शुरू हुआ तो दिन चढ़ते ही भीड़ का कोई ओर छोर नहीं बचा। सुबह गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार कर परंपराओं का निर्वहन किया गया। विभिन्न श्रृंगार की सामग्रियों से बाबा की झांकी सजी तो आस्थावानों ने भी बाबा का दर्शन कर आशीर्वाद मांगा। दूर दरज से आए आस्थावानों ने सुबह से ही बाबा दरबार में पहुंचकर शीश झुकाया और बाबा का प्रसाद लेकर मंदिर परिसर का भ्रमण भी किया। शिव नगरी काशी में आस्था का सागर ऐसा उमड़ा कि गंगा घाट से लेकर बाबा दरबार तक मानो लाखों की भीड़ लगातार सड़कों पर रेंग रही हो। वहीं गंगा द्वार से बाबा दरबार तक के लिए भी आस्थावानों का आना शुरू हुआ तो पहली बार शिवरात्रि पर गंगा और बाबा दरबार एकाकार हो उठे। प्रयागराज में भी भगवान शिव व माता पार्वती के मिलन पर्व महाशिवरात्रि पर चहुंओर शिवमय माहौल है। शिवालयों में दर्शन, पूजन व अभिषेक के लिए भक्तों का तांता लगा है। ‘हर-हर महादेव, भोले बाबा की जय’ का गगनचुंबी उद्घोष करते हुए नर, नारी व बच्चे शिवलिंग पर जलाभिषेक, महाभिषेक व रुद्राभिषेक करने में लीन हैं।संगम तट पर जप, तप, त्याग व तपस्या का प्रतीक माघ मेला मकर संक्रांति से चल रहा है। महाशिवरात्रि माघ मेला का अंतिम स्नान पर्व है। इसके साथ मेला पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। मेला क्षेत्र में प्रवास कर रहे संत व श्रद्धालु मंगलवार की भोर में स्नान करके मेला क्षेत्र से लौटने लगे हैं।मेरठ के औघड़नाथ मंदिर और बागपत के पुरा महादेव मंदिर में भी बड़ी संख्या में शिवभक्त पहुंच रहे हैं। महाशिवरात्रि के पूर्व सोमवार को शिवालयों में आस्था और उल्लास की गंगा बहती रही। हरिद्वार से गंगा जल लेकर आए कांवडिय़ों ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई और त्रयोदशी के मौके पर जलाभिषेक किया। वहीं मुजफ्फरनगर के मोरना क्षेत्र के ककराला स्थित जुड़ेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर जलाभिषेक करने को लेकर श्रद्धालुओं की लगी कतार।लखनऊ में महाशिवरात्रि पर मोहान रोड स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर नए रूप में नजर आ रहा है। कहा जाता है कि भोलेनाथ ने जब भस्मासुर को वरदान दिया था और वह भगवान शंकर पर ही वरदान आजमाना चाहता था तो भगवान यहीं आए थे। यहां आकर उन्हें बुद्धि आई थी और उसे नाचने के लिए कहा था।महाशिवरात्रि पर्व पर कानपुर में बाबा आनंदेश्वर मंदिर और जागेश्वर महादेव मंदिर समेत प्रमुख शिव मंदिरों में सुबह से भक्तों की कतार लग गई। जलाभिषेक व पूजन करके भक्तों ने सुख समृद्धि की कामना की वहीं घरों में रुद्राभिषेक अनुष्ठान का सिलसिला जारी है।