कानपुर । पुलिस विभाग में वैसे तो जवानों और अफसरों को ट्रेनिंग के बाद हथियार दिए जाते हैं लेकिन वो ड्यूटी सेवा काल समाप्त होने पर वापस ले लिये जाते हैं। लेकिन, पहली बार यूपी के नौ अफसर-कर्मी आजीवन पुलिस विभाग से मिली पिस्टल रख सकेंगे। जी हां, ये पिस्टल शासन द्वारा उन्हें बतौर इनाम दी जाएगी, जिसे देखने के बाद उन्हें हमेशा डकैतों को मारने की दिलेरी याद रहेगी। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय बने डकैत गौरी यादव उर्फ उदयभान को मुठभेड़ में ढेर करने वाली स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम को इनाम में तीन-तीन लाख रुपये संग पिस्टल मिलेगी। प्रदेश में यह पहली बार होगा कि डकैतों या बदमाशों को मारने वाली किसी टीम को इनाम में शस्त्र दिया जाएगा। पुलिस महानिदेशक द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश ने स्वीकृति दे दी है। अफसरों का मानना है कि इससे टीम का हौसला बढ़ेगा। चित्रकूट के जंगली क्षेत्र पाठा में यहां के बहिलपुरवा थानांतर्गत बिलहरी मजरा ददरीमाफी निवासी डकैत गौरी यादव का 20 वर्ष से आतंक था। दुर्दांत डी-13 गैंग का सरगना भी था। उस पर पांच लाख रुपये का इनाम और उत्तर प्रदेश में 31 व मध्य प्रदेश में 19 हत्या के अलावा लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी आदि के 50 से अधिक मुकदमे दर्ज थे। गौरी उत्तर प्रदेश में दर्ज 18 मुकदमों में वांछित था। 29 अक्टूबर को एसटीएफ को उसकी लोकेशन बहिलपुरवा के माड़ो बांध के पास ददरी जंगल में मिली थी।अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के निर्देश पर अपर पुलिस महानिदेशक एसटीएफ अमिताभ यश की अगुआई में नौ सदस्यीय टीम ने ददरी के जंगल में कांबिग की थी। 30 अक्टूबर की रात मुठभेड़ में करीब 50 राउंड फायरिंग के बाद टीम ने गौरी को ढेर किया था। उसके पास से एके-47, एक ओल्ड माडल क्लाश्निकोव सेमी आटोमेटिक राइफल, मैगजीन, एक 312 बोर की बंदूक और बड़ी मात्रा में कारतूस मिले थे। टीम को इनाम की घोषणा की गई थी। अब सभी नौ सदस्यों को तीन-तीन लाख रुपये नकद और एक-एक पिस्टल दी जाएगी। पुलिस महानिदेशक की ओर से सात जनवरी 2022 को रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। जिस पर स्वीकृति भी मिल गई है।