लखनऊ । भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय अपने नये सत्र से कुछ नये विषय और विभाग जोड़ने की तैयारी में है। इसमें संस्कृति (संगीत, ललित कला, अभिनय, नाट्य कला, शास्त्रीय विधा, लोककला, पुरातत्व, भित्ति चित्र, विविध नृत्य, बौद्ध व जैन दर्शन, रामायण व गीता शोध, भक्ति, कबीर व सूफी दर्शन आदि) के साथ ही तीन नए विभाग जुड़ेंगे।विश्वविद्यालय अपने बैचलर आफ परफार्मिंग आर्ट्स (बीपीए) को विस्तार देने की योजना बना रहा है। विश्वविद्यालय जुलाई से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र 2022-23 से 87 नये पाठ्यक्रम शुरू कर सकता है। वहीं, दृश्य कला, भारतीय इतिहास और संस्कृति, बौद्ध और जैन अध्ययन विभाग नए शुरू होंगे। इसके बारे में अंतिम फैसला सोमवार को शिक्षा परिषद की बैठक में लिया जाएगा।नये सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया जुलाई के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगी। नए शुरू होने वाले विषयों और विभागों को विश्वविद्यालय द्वारा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, भारतेंदु नाट्य अकादमी, राज्य ललित कला अकादमी, अयोध्या शोध संस्थान, जैन अनुसंधान संस्थान, बुद्ध अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय कथक संस्थान, संत कबीर अकादमी जैसी स्वायत्तशासी सांस्कृतिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करते हुए चलाया जाएगा।नये शुरू होने वाले पाठ्यक्रमों की अवधि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत की जाएगी। अभी बीपीए में सात से आठ कोर्स ही चल रहे। कुछ वैल्यू एडेड कोर्स भी हैं। इन्हें विस्तारित किया जाएगा। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तुहिन द्विवेदी ने बताया कि कुछ ऐसे पाठ्यक्रमों को शुरू करने की योजना है, जिनसे विद्यार्थियों को हमारे देश की संस्कृति और विरासत को बेहतर तरीके से सीखने में सहायता मिलेगी। कई ऐसे पाठ्यक्रम हैं, जिनके अध्ययन के इच्छुक लोगों को वाराणसी, गया या दिल्ली जैसी जगहों का रुख करना पड़ता है।अब ऐसे कोर्सों को लखनऊ में ही उपलब्ध कराने का प्रयास है। पाली, प्राकृत, पांडुलिपि और पुरालेख, संग्रहालय विज्ञान, दर्शन और धर्म जैसे कई स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का गहन अध्ययन लखनऊ ही संभव हो सकेगा। नई शिक्षा नीति के आधार पर सारे कोर्स संचालित हों यह भी कल की शिक्षा बैठक का एजेंडा है। नवसृजित भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रथम/संस्थापक कुलपति हेतु विज्ञापन राज सरकार द्वारा निकाला जा चुका है जिसके आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून है। इसके साथ ही कई अहम बिंदुओं पर योजना बन रही है।