शिमला। जीएसटी काउंसिल की चंडीगढ़ बैठक में हिमाचल समेत तमाम राज्यों को बड़ा झटका लगा है। काउंसिल ने जीएसटी का मुआवजा बढ़ाने की मांग को टाल दिया है। चंडीगढ़ में दो दिन तक चली काउंसिल की अहम बैठक में मुआवजे के फैसले की उम्मीद की जा रही थी, जो फिलहाल पूरी नहीं हुई है। हिमाचल को केंद्र से जीएसटी मुआवजे के रूप में करीब 3500 करोड़ रुपए का भारी-भरकम राजस्व मिल रहा है। वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद पांच साल के लिए इसके मुआवजे का इंतजाम केेंद्र सरकार ने किया था। इस मुआवजे को जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के रूप में देखा जा रहा था। प्रदेश में मई महीने की किस्त जारी हो चुकी है और जून महीने की आखिरी किस्त जारी होने वाली है। चंडीगढ़ में जीएसटी के पांच साल पूरे होने से ठीक पहले शुरू हुई इस बैठक से उम्मीद की जा रही थी कि मुआवजे की राशि को 2026 तक किया जा सकता है, लेकिन काउंसिल ने कोई बड़ा फेरबदल इस बारे में फिलहाल नहीं किया है। जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुआवजा देने की अवधि को बढ़ाने का दबाव कई राज्यों की तरफ से था, लेकिन फिलहाल, काउंसिल ने इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है।वित्त मंत्री ने कहा कि इस बैठक में ऑनलाइन गेम्स, कैसीनो और घोड़ों की रेस पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर विचार किया गया। लंबे मंथन के बाद इस पर भी कोई फैसला नहीं लिया गया है। इसके अलावा सियाही और वाटर पंप पर 18 फीसदी जीएसटी, ग्रेन क्लीनिक मशीन पर जीएसटी को पांच फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है। एलईडी बल्ब, सर्किट बोर्ड पर अब 18 फीसदी, आटा चक्की, पवन चक्की, सोलर वाटर हीटर और लेदर पर पांच से बढ़ाकर 12 फीसदी जीएसटी लगेगी। यानी यह सभी महंगे होने जा रहे हैं। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक अब अगस्त महीने में तमिलनाडु में आयोजित होगी। निर्मला सीतारमण ने बताया कि अगस्त के पहले सप्ताह में यह बैठक आयोजित की जा सकती है। जीएसटी काउंसिल के बाद मीट, मछली, दही, पनीर, शहद पर पैक्ड और लेबल्ड खाद्य पदार्थों पर पांच फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। होटल में रहना भी महंगा होगा। एक हजार रुपए तक के कमरे में 12 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा।