वित्तीय वर्ष बीतने से पहले टैक्स भुगतान और एकमुश्त टैक्स भुगतान के बोझ से बचने को एडवांस टैक्स समय से देना जरूरी है। इसकी दूसरी किश्त 15 सितंबर तक भुगतान की जानी है, जिसमें कुल एडवांस टैक्स का 45 प्रतिशत तक भुगतान करना है। सीए प्रार्थना जालान ने बताया कि साल भर की टैक्स देनदारी चार हिस्से में चुकानी होती है। इससे करदाता पर टैक्स भुगतान का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता और सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान हर तिमाही में आमदनी मिलती जाती है।किसी व्यक्ति या संस्था की आयकर देनदारी एक साल में 10 हजार रुपये से अधिक बनती है या बनने की संभावना है, तो उसे वित्तीय वर्ष बीतने के पहले ही एडवांस टैक्स जमा करना पड़ता है। यह भुगतान अपनी अनुमानित आमदनी के हिसाब से हर तिमाही करना होता है। आयकर अधिनियम की धारा 208 के अनुसार ऐसा करना अनिवार्य है।सीए राकेश अग्रवाल ने बताया कि बिजनेस, स्वतंत्र या वेतनभोगी, लेकिन कैपिटल गेन, किराया की ऊंची आमदनी वाले, टीडीएस काटने के बाद अन्य स्रोत से एक साल में 10 हजार रुपये से अधिक टैक्स देने वालों को एडवांस टैक्स भुगतान करना होता है।वित्तीय वर्ष में टैक्स देनदारी से अधिक आयकर भुगतान पर अतिरिक्त टैक्स की वापसी होती है। आयकर की धारा 237 में करदाता को अधिकार है कि रिफंड की रकम टैक्स देनदारी के 10 प्रतिशत से अधिक होने पर रकम पर छह प्रतिशत सालाना ब्याज मिलेगी। 15 मार्च तक कम टैक्स देने की स्थिति में 31 मार्च से पहले पूरा टैक्स भर दिया जाए, तो उसे एडवांस टैक्स ही माना जाएगा।
एडवांस टैक्स जमा कराने की प्रस्तावित तिथि
15 जून तक: एडवांस टैक्स का 15 प्रतिशत
15 सितंबर तक: एडवांस टैक्स का 45 प्रतिशत (पहले जमा राशि को जोड़कर)
15 दिसंबर तक: एडवांस टैक्स का 75 प्रतिशत (पहले जमा राशि को जोड़कर)
15 मार्च तक: एडवांस टैक्स का 100 प्रतिशत (पहले जमा राशि को जोड़कर)
एडवांस टैक्स तय तिथियों पर भुगतान न करने या देरी से करने पर विलंब शुल्क के रूप में ब्याज चुकानी पड़ेगी। धारा 234सी में निर्धारित तिथि तक भुगतान न करने पर पैनल्टी और धारा 234बी में एडवांस टैक्स देनदारी से कम भुगतान करने पर पैनल्टी देनी होगी। इसमें प्रतिमाह एक प्रतिशत दर से ब्याज देय होगा।अधिक रिफंड लेने पर भी उक्त रकम पर .5 प्रतिशत की ब्याज देय होगी।