नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दबाव, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की मांग पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में ईसाई बनने का दबाव बनाए जाने के चलते आत्महत्या करने वाली तमिलनाडु की लावण्या के मामले का हवाला दिया था। इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर तमिलनाडु के तंजावुर में कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर की गई 17 वर्षीय लड़की द्वारा आत्महत्या के ‘मूल कारण’ की जांच की मांग की गई । जनहित याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की। याचिका में केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की भी अनुरोध किया गया है कि धोखाधड़ी से धर्मांतरण को रोकने के लिए ‘भय दिखाना, धमकी देना, धोखा देना और उपहारों और मौद्रिक लाभों के माध्यम से लालच देने’ के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने इस याचिका में कहा, ‘नागरिकों पर हुई चोट बहुत बड़ी है क्योंकि एक भी जिला ऐसा नहीं है जो भय अथवा लालच के जरिए कराए जाने वाले धर्म परिवर्तन से मुक्त हो।’ इसमें कहा गया, ‘पूरे देश में हर हफ्ते ऐसी घटनाएं होती हैं जहां धर्मांतरण डर दिखाकर, धमकाकर, उपहारों और धन के लालच में धोखा देकर और काला जादू, अंधविश्वास, चमत्कार का उपयोग करके किया जाता है, लेकिन केंद्र और राज्यों ने इस खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए हैं। बता दें कि तमिलनाडु के तंजावुर स्थित मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी। जनवरी में उसने आत्महत्या कर ली थी। छात्रावास में रहने वाली लड़की को कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया था। इस सिलसिले में एक वीडियो क्लिप भी प्रसारित हुआ था। स्कूल प्रबंधन ने आरोप को खारिज कर दिया था और और इसके पीछे निहित स्वार्थों को दोषी ठहराया था। पुलिस के बयान के साथ-साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दिये बयान में, लड़की ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में छात्रावास की वार्डन पर गैर-शैक्षणिक काम सौंपने और यह बर्दाश्त नहीं कर पाने पर कीटनाशक का सेवन करने की बात कही थी।