प्रयागराज । इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने लोक निर्माण विभाग में कार्यरत जूनियर इंजीनियर के पक्ष में पारित एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। एकल पीठ ने याची प्रमोद कुमार शर्मा को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन देने का निर्देश दिया गया था। कहा था कि भले ही उसकी नियुक्ति वर्ष 2009 में हुई हो परंतु उसके चयन की प्रक्रिया वर्ष 2000 की भर्ती की रिक्ति के तहत नई थी, जो नई पेंशन योजना लागू होने के पूर्व पूरी हो चुकी थी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की खंडपीठ ने लोक निर्माण विभाग की तरफ से दाखिल विशेष अपील पर पारित किया। याची गौतमबुद्ध नगर में कार्यरत है।यूपी सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने रखा पक्ष : उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का तर्क था कि 1 अप्रैल 2005 से नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई है। यूपी रिटायरमेंट बेनिफिट रूल्स 1961 के नियम 2 (3) में संशोधित व्यवस्था के अनुसार सेवा में एंट्री ही पेंशन के लिए मुख्य निर्णायक तिथि है। कहा गया कि याची का भले ही चयन पुरानी पेंशन स्कीम लागू होने के समय हो गया हो परंतु उसकी सेवा में एंट्री नई पेंशन योजना लागू होने के पश्चात वर्ष 2009 में हुई है। इस कारण उसे पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल सकता।याची के अधिवक्ता ने दिया तर्क : याची इंजीनियर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का तर्क था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया जा चुका है ऐसे में याची पुरानी पेंशन का लाभ पाने का हकदार है। चूंकि एकल जज ने प्रदेश सरकार से याचिका पर जवाब मांगे बगैर याचिका को मंजूर कर याची के पक्ष में आदेश पारित कर दिया था, इस कारण विशेष अपील बेंच ने सरकार को याचिका में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।