लखनऊ । दीपावली पर राज्य कर्मचारियों को महंगाई भत्ता और पेंशनरों की महंगाई राहत पहली जुलाई से चार प्रतिशत बढ़ाने के निर्णय के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार पेंशनरों पर भी मेहरबान हो गई है। सरकार ने राज्य कर्मचारियों को बढ़ी दर से डीए और डीआर देने के साथ ही सविल व पारिवारिक पेंशनर को भी बढ़ी दर से डीए और डीआर का भुगतान करने जा रही है। इसके साथ ही सरकार ने पेंशनरों की अविवाहित, विधवा या फिर तलाकशुदा पुत्रियों की पेंशन को भी बढ़ाने का फैसला किया है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब साल भर पहले वृद्धावस्था पेंशन वितरण के दौरान कुछ लाभर्थियों से बात करने के बाद ही तय कर लिया था कि इन सभी की अविवाहित, विधवा तथा तलाकशुदा पुत्रियों के लिए भी कुछ अच्छा किया जाएगा। सरकार का मानना है कि किसी भी अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा पुत्री का अपनी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ फैलाना सबसे मुश्किल काम है।प्रदेश शासन की ओर से समय-समय पर जारी किये तमाम आदेशों के बावजूद राज्य सरकार के पेंशनरों की अविवाहित, विधवा और तलाकशुदा पुत्रियों की पारिवारिक पेंशन का पुनरीक्षण नहीं किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने दिया वेतन समिति 2016 की सिफारिशों के क्रम में पेंशन पुनरीक्षण का आदेश भी दिया है। उन्हें अब भी 9000 रुपये प्रति माह पेंशन भुगतान किया जा रहा है। इसका संज्ञान लेते हुए वित्त विभाग ने सोमवार को सभी विभागों को शासनादेश जारी कर राज्य सरकार के पेंशनरों की अविवाहित, विधवा और तलाकशुदा पुत्रियों की पारिवारिक पेंशन का पुनरीक्षण उप्र वेतन समिति (2016) की सिफारिशों के क्रम में जारी पेंशन पुनरीक्षण संबंधी शासनादेश के अनुसार करने का निर्णय किया है।शासनादेश में कहा गया है कि पेंशनरों की अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा पुत्रियों को वही पारिवारिक पेंशन अनुमन्य है, जो दिवंगत सरकारी कर्मचारी/पेंशनर के आश्रितों को स्वीकृत की गई है। यानी उन्हें यथास्थिति दिवंगत/सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी द्वारा आहरित अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत (बढ़ी हुई दर) या 30 प्रतिशत (सामान्य दर पर) के बराबर पेंशन राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। वित्त विभाग की ओर से सभी अपर मुख्य सचिवों/प्रमुख सचिवों/सचिवों, विभागाध्यक्षों, वित्त नियंत्रकों, प्रमुख कार्यालयाध्यक्षों को जारी इस शासनादेश में कहा गया है कि पेंशनरों की अविवाहित, विधवा और तलाकशुदा पुत्रियों की पेंशन को तत्काल संशोधित करते हुए उप्र वेतन समिति (2016) की सिफारिशों के क्रम में जारी शासनादेश के अनुसार पारिवारिक पेंशन का पुनरीक्षण करते हुए भुगतान किया जाए।