नयी दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2016-17 से विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को वितरित बिजली सब्सिडी राशि के विशेष ऑडिट के लिए केजरीवाल सरकार को सहमति दे दी है। उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने इसमें अब तक हुई देरी पर “आश्चर्य” व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को भेजे गए एक नोट में सक्सेना ने पिछले छह वर्षों में डिस्कॉम को दिए गए 13,549 करोड़ रुपये का ऑडिट नहीं करने के चलते सरकार की आलोचना की है।
उपराज्यपाल ने अपना रुख दोहराया कि गरीबों को बिजली सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी इंगित किया कि डिस्कॉम को दी जा रही राशि की चोरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट किया जाना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार से डिस्कॉम के सीएजी ऑडिट को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपनी अपील में तेजी लाने के लिए भी कहा है, जो सात साल से अधिक समय से लंबित है। उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के बीच बिजली सब्सिडी को लेकर खींचतान रही है। दिल्ली सरकार ने सक्सेना पर भाजपा के साथ साजिश के जरिए सब्सिडी रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया। सक्सेना ने अपने नोट में रेखांकित किया है कि सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) द्वारा सूचीबद्ध लेखा परीक्षकों द्वारा किए गए ऑडिट को सीएजी ऑडिट के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
गरीबों के लिए बिजली सब्सिडी के लिए अपनी सहमति और प्रतिबद्धता को दोहराते हुए सक्सेना ने कहा है कि ऐसी सब्सिडी दिल्ली के लोगों से राजस्व के रूप में एकत्रित सार्वजनिक धन है और यह सुनिश्चित करना सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है कि निहित स्वार्थों के लाभ के बजाय यह लक्षित आबादी तक पहुंचे। सीएजी के पैनल में शामिल लेखा परीक्षकों के माध्यम से ऑडिट कराने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उपराज्यपाल ने रेखांकित किया है कि बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन का ऑडिट सीएजी द्वारा किया जाना चाहिए। उपराज्यपाल ने नोट में कहा कि आप सरकार 2015 से ही दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) से ऑडिट कराने के लिए कह रही थी, हालांकि वह बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 108 को लागू कर सकती थी और इसके लिए डीईआरसी को बाध्यकारी निर्देश दे सकती थी।
अधिकारियों ने कहा कि डीईआरसी ने हालांकि कोई ऑडिट नहीं किया, जिस पर मुख्य सचिव के माध्यम से बिजली विभाग ने डीईआरसी को दिसंबर, 2022 में अधिनियम को लागू करते हुए अनिवार्य रूप से ऑडिट करने के लिए एक फाइल पेश की। इसे तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री मनीष सिसोदिया ने 27 जनवरी, 2023 को ठुकरा दिया था। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को अपनी फाइल नोटिंग में लिखा है, “इससे भी अधिक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 108 को लागू करके डीईआरसी द्वारा विशेष ऑडिट कराने के प्रस्ताव को भी विभाग द्वारा दिसंबर, 2022 में बहुत देर से सामने रखा गया था। इसे तत्कालीन उपमुख्यमंत्री द्वारा 27 जनवरी, 2023 को ठुकरा दिया गया था।”