वाराणसी/लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इर्री) ने राज्य के चार कृषि विश्वविद्यालयों के साथ शोध और विकास गतिविधियों को मजबूत करने के लिए समझौता-ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये। शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित समारोह में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ने आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवम प्राद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या, बाँदा कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा, चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्राद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर एवं सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्राद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ के साथ अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों को व्यापक रूप देने एवं चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणाली को और मजबूत करने हेतु करार किया।
उत्तर प्रदेश और भारत सरकार के मजबूत सहयोग से संस्थान गरीबी और भूख को खत्म करने के मिशन के अनुरूप खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरणीय फुटप्रिंट या प्रभाव को कम करते हुए उच्च उपज प्राप्त करने पर कार्य कर रहा है। संस्थान चावल आधारित खाद्य प्रणालियों के उत्पादन में वृद्धि, कौशल विकास कार्यक्रमों, चावल आधारित मूल्य वर्धित उत्पादों के विकास में भी क्रियाशील है।
इन समझौता ज्ञापनों के मुख्य बिंदु जर्मप्लाज्म का संरक्षण, सुधार, फसल और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, तथा डिजिटल टूल्स में सहयोग बढ़ाना वैज्ञानिकों तथा छात्रों का क्षमता निर्माण और ज्ञान का आदान-प्रदान तथा मूल्य श्रृंखला और बाजार आधारित आर्थिक अनुसंधान प्रमुख हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा “अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान एवं वाराणसी स्थित संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र द्वारा चावल अनुसंधान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। हालांकि, इर्री विशेषतः रिसर्च आधारित अंतराष्ट्रीय संस्थान है लेकिन संस्थान के द्वारा कृषि तकनीक के प्रचार- प्रसार पर भी काफी उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है।
विशेष रूप से सीधी बिजाई, जलवायु प्रतिरोधी (बाढ़ और सूखा अवरोधी) प्रजातियों के विकास और प्रसार, ड्रोन तकनीक धान की पारंपरिक प्रजातियों एवं लैंडरेसों जैसे कालानमक, जीराबत्तिस इत्यादि की विकास और उनसे बने उच्च-गुणवत्ता के खाद्य-उत्पादों (कूकीज आदि) के निर्माण पर आईसार्क सराहनीय कार्य कर रहा है। मुझे इस बात की ख़ुशी है की आइसार्क राज्य के विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर इन कार्यों को और भी गति प्रदान करेगा।
यह संस्थान तकनीकी विकास का भी महत्वपूर्ण केंद्र है, मुझे उम्मीद है कि हमारे राज्य के अधिकारियों और विस्तार कार्यकर्ताओं के तकनीकी ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को मजबूत करने का कार्य किया जाएगा।”
उन्होंने अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान एवं वाराणसी स्थित संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र को तथा प्रदेश सरकार द्वारा पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया| साथ ही, उन्होंने प्रदेश में बढ़ते मधुमेह के मरीजों की संख्या की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों से सुगर फ्री चावल की किस्मों को विकसित करने की इच्छा जाहिर की।
अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान एवं कृषि विश्वविद्यालयों को इस अवसर पर बधाई देते हुए डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा “उत्तर प्रदेश में चावल निर्यात को लेकर अपार संभावनाएं हैं| इर्री के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र द्वारा चावल की पारम्परिक किस्मों के संरक्षण एवं विकास हेतु सराहनीय कदम उठाये जा रहे हैं| मैं आशा करता हूँ कि यह संस्थान इसी प्रकार अनुसंधान एवं किसानों के विकास के लिए कार्यरत रहे, साथ ही विश्वद्यालयों एवं इर्री आपसी सहयोग से किसानों के क्षमता संरक्षण की दिशा में भी बेहतर प्रयास करता रहे।”
इस मौके पर अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक, डॉ. जीन बैली ने केन्द्रीय एवं प्रदेश सरकार द्वारा संस्थान को निरन्तर प्रदान किये जाने वाले सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। समझौता ज्ञापनों के बिन्दुओं की विस्तार में चर्चा करते हुए डॉ. बैली ने चारों कृषि विश्वविद्यालयों से अनुसंधान एंड विकास कार्यों में सहयोग की अपेक्षा की।
कार्यक्रम में डॉ. देवेश चतुर्वेदी अपर मुख्य सचिव, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, कृषि विपणन, अंतर्राष्ट्रीय कृषि व्यापार एवं निर्यात संवर्धन, उत्तर प्रदेश सरकार, डॉ. जीन बैली, इर्री के महानिदेशक, डॉ. अजय कोहली, डी.डी.जी.(अनुसंधान), इर्री, ए.जे.पोंसिन, इर्री, डॉ. संजय सिंह, महानिदेशक, उपकार, डॉ. बिजेंद्र सिंह, कुलपति, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवम प्राद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या, एवं चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्राद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर, डॉ, सुरेन्द्र सिंह, रजिस्ट्रार, बाँदा कृषि एवं प्राद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा, डॉ. अनिल सिरोही, निदेशक एक्सपेरिमेंट स्टेशन, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्राद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ, डॉ. सुधांशु सिंह, निदेशक, इर्री सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।