जयपुर। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बयान से प्रदेश की राजनीति में सियासी घमासान मचा हुआ है। दरअसल, सीएम गहलोत ने दावा किया है कि साल 2020 में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और कुछ विधायकों की बगावत के समय वसुंधरा राजे और भाजपा नेता कैलाश मेघवाल ने उनकी मदद की थी जिसके चलते में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बच पायी थी। गहलोत के इस बयान पर वसुंधरा राजे की तीखी प्रतिक्रिया सामने आयी है।
गहलोत के दावे को वसुंधरा राजे ने झूठा बताया है। उनका कहना है कि सीएम अशोक गहलोत 2023 में होने वाली हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं। यह गहलोत की उनकी खिलाफ साजिश है। गहलोत ने गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाए, जिनकी ईमानदारी और सत्य निष्ठा सर्वविदित है। उन्होंने कहा कि रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं, यदि उनके विधायकों ने पैसा लिया तो एफआईआर दर्ज करवाएं। सच तो यह है कि अपनी ही पार्टी में हो रही बगावत और रसातल में जाते जनाधार के कारण बौखलाहट में उन्होंने ऐसे अमर्यादित और असत्य आरोप लगाएं हैं।
प्रदेश की पूर्व सीएम ने कहा कि विधायकों की खरीद फरोख्त में महारथी तो स्वयं अशोक गहलोत हैं। इन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत में होने के कारण ऐसा किया था। उस वक्त न भाजपा को बहुमत मिला था और न ही कांग्रेस को। उस समय उनकी सरकार बन सकती थी, लेकिन भाजपा के सिद्धांतों के खिलाफ था। जबकि गहलोत ने अपने लेन देन के माध्यम से विधायकों की व्यवस्था कर दोनो समय सरकार बनाई थी। उन्होंने कहा कि गहलोत द्वारा उनकी तारीफ करना उनके खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र है। वे 2023 के चुनाव में होने वाली ऐतिहासिक हार से बचने के लिए ऐसी मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहें है, जो दुर्भाग्य पूर्ण है पर उनकी ये चाल कामयाब होने वाली नहीं है।
वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि गहलोत नंबर एक के झूठे हैं। अगर वह इतने ही सच्चे हैं तो करोड़ों लेने वालों के खिलाफ अब तक केस दर्ज क्यों नहीं करवाया? ये कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है जिसे जीतने के लिए गहलोत जी हर नाजायज तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अपने विरोधी खेमे को गद्दार साबित करना चाहते हैं।