प्रयागराज। महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मृत्यु के मामले में गिरफ्तारी के बाद से जेल में बंद नरेंद्र गिरि को अभी सलाखों के पीछे ही रहना होगा। आनंद गिरि की जमानत अर्जी को दो दिन तक सुनवाई के बाद गुरुवार को प्रयागराज की ईसी एक्ट कोर्ट ने मामले की गंभीरता और सीबीआइ की जारी जांच को देखते हुए खारिज कर दिया है। कोर्ट के बाहर मौजूद आनंद के समर्थक अदालत का आदेश पता चलने पर मायूस लौट गए।
अदालत में आनंद गिरि के वकीलों इमरान उल्ला, एचके पांडेय, विनीत विक्रम और पल्लवी शर्मा ने जमानत के पक्ष में दलील दी कि इस घटना की एफआइआर देर से तैयार की गई, एफआइआर से धारा 306 का कोई तत्व पूर्ण नहीं होता, अभियुक्त के खिलाफ मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई भी साक्ष्य नहीं है और मृतक के सुसाइड नोट को विवेचक ने उचित तरीके से सत्यापित नहीं कराया है। जमानत के विरोध में सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक एके सिंह, विवेचक केएस नेगी, जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने कहा कि अपराध गैर जमानतीय तथा गंभीर प्रकृति का है। अभियुक्त के उकसाने पर ही महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की थी। घटनास्थल पर मृतक का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है इसलिए जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किया जाए। बचाव पक्ष और अभियोजन के तर्कों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ने अपराध की गंभीरता और प्रकृति को देखते हुए आनंद गिरि की जमानत अर्जी खारिज कर दी।