नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानून वापस लेने के फैसले पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बड़ा बयान दिया है। जत्थेदार ने कहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन की आड़ में सिखों-भारत सरकार और सिखों-हिंदुओं के बीच लड़ाई करवाने की साजिश रची जा रही थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले से उनके मंसूबे नाकाम हो गए। एक वीडियो में उन्होंने इसके लिए भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनकी पूरी कैबिनेट का धन्यवाद किया। जत्थेदार ने कहा कि कानून वापस के एलान होने से एक बड़ी राष्ट्रीय विपदा टल गई है। उन्होंने कहा कि आंदोलन में कुछ ऐसे गुट थे, जो सिख सोच, निशान, फलसफे, इतिहास और भावनाओं को दरकिनार कर रहे थे। आने वाले समय में हमें इसके नुकसान झेलने पड़ते। जत्थेदार का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पंजाब शुरू से ही किसान आंदोलन का सिरमौर बना हुआ है। पंजाब से ही शुरू होकर यह आंदोलन पूरे देश में फैला।पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीन विवादित कृषि कानून रद्द करने के फैसले का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया था। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रकाश पर्व के मौके पर तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना और किसानों से माफी मांगना, इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। कैप्टन ने कहा था कि प्रधानमंत्री देश के कल्याण के लिए कृषि कानून लाए थे। इससे पहले पंजाब की कांग्रेस सरकार ने एलान किया था कि किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 किसानों की याद में एक स्मारक बनाया जाएगा। सीएम ने कहा कि आजादी के बाद अगर कोई बड़ा संघर्ष हुआ, तो वह कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन रहा है जिसने देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत किया। इसलिए किसान आंदोलन के नाम पर राज्य में स्मारक स्थापित होगा।