धर्मशाला। महंगाई है इसलिए ही महंगी नहीं है सब्जियां और भी कारण हैं जो विभाग की पकड़ में नहीं आ रहे हैं। या तो सरकारी तंत्र कार्रवाई से डरता है या फिर सांठ गांठ के चलते कार्रवाई से परहेज कर रहा है। यहां बात हो रही है धर्मशाला में सब्जियों के दाम की। सब्जी मंडी से कुछ दूरी पर ही अधिक मूल्यों पर सब्जियां बिक रही हैं तो शहर का आलम क्या है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। टमाटर तो गृहणियों की पहुंच से पहले ही दूर हो चुका है। कहीं पर टमाटर 100 रुपये तो कहीं पर 70 रुपये में बिक रहा है। वहीं मटर के भी मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं, कुछ स्थानों पर मटर 100 रुपये कुछ स्थानों पर 80 तो कुछ स्थानों पर 120 को छू रहा है। शिमला मिर्च व अन्य सब्जियों का भी यही हाल है। ऐसे में मुनाफाखोरी के चक्कर में सब्जी विक्रेता अपनी दुकानों में रेट लिस्ट भी नहीं टांग रहे हैं। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने रेट लिस्ट लिख रखी है पर उसे उलटा कर सब्जी के क्रेट के साथ छिपा लेते हैं। जब कोई साहब जांच को आए तो उसे बातों बातों में सीधा कर देते हैं और चालान से बचते हैं, जबकि ज्यादातर सब्जी की दुकानों में चेकिंग ही नहीं हो पा रही है और रेट लिस्ट भी नहीं लगी है। जबकि कुछेक दुकानदार ऐसे भी हैं, जिन्होंने महंगी सब्जियों के कारण एक माह से अपना कारोबार ही समेट दिया है।जितनी सब्जी पहले मंडी से खरीद लाते थे, उससे आधे से भी कम सब्जी अपनी दुकान में रखी है। लेकिन यहां मूल्यों में एकरूपता न होने के कारण लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। हालांकि चरान खड्ड सब्जी मंडी से लेकर चरान, दाड़ी, कचहरी अड्डा धर्मशाला में अलग-अलग मूल्य हैं और दुकानदारों ने सब्जी के रेट लिस्ट भी नहीं टांगे हैं।