लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गुरु गोबिंद सिंह के 356वें प्रकाश पर्व पर लखनऊ के गुरुद्वारा नाका हिंडोला में माथा टेका। इस दौरान उन्होंने गुरु परंपरा को भी सम्मान देने की सीख दी। लखनऊ में गुरुद्वारा नाका हिंडोला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस गुरु परंपरा ने देश को एक नई राह दिखाई थी, जिसने देश और धर्म के पथ पर बिछे हुए शूलों को स्वयं अंगीकार कर पुष्प बिछाने का कार्य किया था। उस गुरु परंपरा को सम्मान देना, उसके प्रति श्रद्धा रखना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा कि भक्ति से लेकर त्याग और बलिदान की एक अमिट परंपरा का नाम ही खालसा पंथ है। श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 26 दिसंबर को साहिबजादों के बलिदान दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय अभिनंदनीय है। यह साहिबजादों के अतुल्य बलिदान के प्रति राष्ट्र की समेकित श्रद्धांजलि है।मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म की रक्षा में सिख गुरुओं का विशेष योगदान है। श्री गुरु गोबिंद सिंह का त्याग व बलिदान समाज को प्रेरणा देगा। धर्म की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्रों के बलिदान के बावजूद गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म की रक्षा करने में तनिक भी संकोच नहीं किया। धर्म व समाज की रक्षा के लिए सिख समाज का बलिदान सदैव याद रखा जाएगा। गुरु ग्रंथ साहिब के सामने शीश नवाने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए विशेष योगदान दिया। सिख गुरु हम सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास पर गुरु को समर्पित कार्यक्रम से ऊर्जा मिली। गुरु के आशीर्वाद से ही कई परेशानियों पर विजय पाई। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह एक दिव्य पुरुष थे। सिख गुरुओं ने देश और धर्म की रक्षा कर भारत को एक नई दिशा दी। गुरु परंपरा के तेज का ही परिणाम है कि सिख समुदाय के लोग कहीं भी हों देश हित में अपना योगदान दे रहे हैं। बाबा बंदा साहिब के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। मुगल शासक बाबर को जाबर करने की हिम्मत सिर्फ सिख समाज के गुरुओं में थी।