श्रीनगर । घाटी में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने में नाकामी से हताश आतंकियों और उनके आकाओं ने अब मस्जिदों और जियारतगाहों जैसी पाक जगहों को नापाक करने की साजिश रची है। इसका खुलासा कश्मीर के आइजी विजय कुमार ने शनिवार को किया है। उन्होंने कहा कि आतंकी अब मस्जिदों और दारुल उल उलूम काे अपना नया ठिकाना बना रहे हैं। लोगों को इससे सचेत रहने की जरुरत है। शनिवार की सुबह चीवाकलां पुलवामा में मुठभेड़ में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के दोनों आतंकी एक दारुल उल उलूम में छिपे थे। इसी परिसर में एक मस्जिद भी है। गत वीरवार को बटपोरा पुलवामा में भी आतंकी जान बचाते हुए एक मस्जिद परिसर में दाखिल हो गए थे। उन्होंने मस्जिद के साथ सटे कमरे में शरण ली और वहीं से सुरक्षाबलों पर फायरिंग की।डल झील किनार स्थित विश्व प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह में वीरवार को पाकिस्तानी आतंकी हमजा ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था। जवाबी कार्रवाई में हमजा मारा गया और उसके साथी भाग निकले थे। कश्मीर में आतंकियों द्वारा धर्मस्थलों का दुरुपयोग कोई नया नहीं है, लेकिन बीते कुछ वर्षाें के दौरान आतंकियों ने मस्जिदों और जियारतगाहों को अातंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। अब वह दोबारा इनका इस्तेमाल कर रहे हैं और बीते तीन दिनों के दौरान वादी में हुई घटनाएं इसकी पुष्टि करती हैं।कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार एजाज अहमद ने कहा मस्जिद, जियारतगाह हो या दारुल उल उलूम, आतंकी इनका इस्तेमाल एक सोची समझी साजिश के तहत कर रहे हैं। वादी में बीते तीन साल के दाैरान आतंकी कोई बड़ी सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने में नाकाम रहे हैं। आतंकी संगठनों में भर्ती लगभग समाप्त हो चुकी है। अधिकांश आतंकी मारे जा चुके हैं । मुठभेड़ के दौरान भी आतंकियों को बचाने के लिए हिंसक भीड़ नहीं जुटती। आतंकियों और उनके आका पाकिस्तान को दुनिया के सामने कश्मीर के हालात खराब दिखाने के लिए यहां गली-बाजारों में भारत विरोधी नारेबाजी करते लोगों की भीड़ चाहिए। उन्हें सुरक्षाबलों के खिलाफ सड़कों पर आम लोग चाहिए। इसलिए आतंकी अब किसी मुठभेड़ के समय मस्जिद या जियारताग में दाखिल हो रहे हैं। इससे उन्हें लगता है कि लोग भड़केंगे और सुरक्षाबलों के खिलाफ सड़क पर आ जाएंगे।कश्मीर के आइजीपी विजय कुमार ने शनिवार को श्रीनगर के टैगोर हाल में एक समारोह से इतर बातचीत में कहा, आतंकी एलआेसी पार बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर ही अब मस्जिदों, जियारतगाओं में दाखिल हो रहे हैं। वह जानते हैं कि मु़ठभेड़ के दौरान धर्मस्थल को नुक्सान पहुंच सकता है और ऐसी स्थिति में वह लोगों को भड़का कानून-व्यवस्था का संकट पैदा करने की अपनी साजिश में कामयाब हो जाएंगे। हम उनके इस मंसूबे को अच्छी तरह समझते हैं, लोग भी इस साजिश को जान चुके हैं। इस साजिश केा नाकाम बनाने के लिए हमने एक प्रभावी और व्यावहारिक रणनीति को अपनाया है। इसका नतीजा भी बीते तीन दिनों के दौरान देखा गया है। हमने धर्मस्थलों को नापाक कर रहे आतंकियों को मार गिराया और लोगों ने पूरा संयम बनाए रखा है। हमारी लाेगों व मजहबी नेताआओ से अपील है कि वह राष्ट्रविरोधी तत्वों को धर्मस्थलों को अपनी गतिविधियों का केंद्र न बनने दें।