चैत्र नवरात्र दो से प्रारंभ है। महानवमी 10 अप्रैल को है। 11 अप्रैल को विजया दशमी, अपराजिता पूजा व कलश विसर्जन किया जाएगा । रमना स्थित राज राजेश्वरी मंदिर सहित जिले के अन्य मंदिरों में कलश स्थापना के साथ माता के नौ रूपों की पूजा प्रारंभ होगी । ज्योतिष मर्मज्ञ-पंडित प्रभात मिश्र व पंडित विवेक तिवारी ने बताया कि नवरात्रि में हर व्यक्ति अपनी सुख-समृद्धि की कामना के लिए शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना करनी चाहिए। इस बार देवी का आगमन घोड़ा पर होगा । यह राजाओं में युद्ध का संकेत है । देवी का गमन महिष (भैस) पर होगी। इससे देश में रोगियों की संख्या बढ़ सकती है। शोक की भी वृद्धि हो सकती है ।चैत्र मास की शुक्ल पक्ष नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इस दिन रामनवमी मनाया जाता है। यह 10 अप्रैल को पड़ रहा है। इस दिन पूरे देश में श्रीराम जन्मोत्सव की धूम रहती है। यह दिन अंतिम नवरात्र होने के कारण भी काफी महत्वपूर्ण है। देवी की विशिष्ट पूजा, हवन और कन्या पूजन भी किया जाता है।
चैत्र नवरात्र
02 अप्रैल : कलश स्थापना
03 अप्रैल : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
04 अप्रैल : मां चंद्रघंटा की पूजा
05 अप्रैल : मां कुष्मांडा की पूजा
06 अप्रैल : मां स्कंध माता की पूजा
07 अप्रैल : मां कात्यायिनी की पूजा, विल्वाभिमंत्रन, पत्रिका प्रवेश, निशा पूजा, छठ व्रत में अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य
09 अप्रैल : महाअष्टमी व्रत
10 अप्रैल : महानवमी, हनुमत ध्वजदान, हवन
11 अप्रैल : विजया दशमी, अपराजिता पूजा, कलश विसर्जन
कलश स्थापना मुहूर्त
गुली काल मुहूर्त : प्रात: 05.41 से 07.14 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11.28 से 12.18 बजे तक
चर योग : दोपहर 11.53 से 01.26 बजे तक
लाभ योग : दोपहर 01.15 से 02.59 बजे तक
अमृत योग : दोपहर 02.59 से शाम 04.32 बजे तक