कोलकाता । बीरभूम हिंसा की जांच कर रही सीबीआइ आज कोलकाता हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करेगी। बीरभूम के रामपुरहाट के बोगटुई गांव में महिलाओं और बच्चों को जिंदा जलाकर मार दिया गया था। यह घटना एक दिन पहले तृणमूल नेता भादू शेख की हत्या का बदला लेने के लिए अंजाम दी गई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ इसकी जांच कर रही है। इसमें स्थानीय पुलिस और दमकल विभाग की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। सीबीआइ ने शवों का दोबारा पोस्टमार्टम कराया है और उनकी सही पहचान के लिए डीएनए टेस्ट भी कराया है।बता दें कि बीरभूम हिंसा के मामले में सीबीआइ अपनी प्राथमिक (स्टेटस) रिपोर्ट सात अप्रैल को हाई कोर्ट में दाखिल करने जा रही है। बता दें कि बीरभूम के बोगटूई गांव में 21 मार्च टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या के बाद हुई हिंसा में 11 लोगों को जलाकर मार दिया गया था। सीबीआइ की प्रारंभिक रिपोर्ट गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ में पेश की जानी है। इस मामले में दमकलकर्मियों और पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की गई है। घटनास्थल के आसपास के कुछ सीसीटीवी फुटेज भी जुटाए गए हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट में उनका भी उल्लेख किया जा सकता है। जांचकर्ताओं का कहना है कि मौके पर फोरेंसिक नमूने एकत्र किए गए हैं। पीड़ितों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। वे रिपोर्ट में महत्वपूर्ण जानकारी हो सकते हैं। इसके अलावा हिंसा की शिकार नाजेमा बीबी का बयान भी अहम हो सकता है, जिन्होंने दम तोड़ने से पहले अस्पताल में अपनी गवाही दी थी। सूत्रों के मुताबिक किन लोगों ने कैसे घर में मौत का तांडव मचाया था उन्होंने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने अपने बयान में ऐसी जानकारी दी है जो आरोपितों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए पर्याप्त है।
कानून के जानकारों के मुताबिक किसी भी मामले में डाईंग डिक्लेरेशन (मौत से पहले दी गई गवाही) को सबसे अहम और पुख्ता सबूत माना जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 में मृत्यु के पहले बयान की ऐसी व्याख्या की गई है। प्रतिवादियों की जमानत याचिकाओं को खारिज करने और उन्हें हिरासत में रखने के लिए मौत से पहले की गवाही सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक है। अगर इस तरह के सबूत जांच एजेंसी के हाथ में हैं तो आरोपित के प्रभावशाली होने पर भी कोई छूट नहीं मिल सकती है।दूसरी ओर जिले के रामपुरहाट अनुमंडल न्यायालय के अतिरिक्त मुख्य सत्र न्यायाधीश ने हिंसा के आरोपितों के पालीग्राफ टेस्ट के आवेदन पर सुनवाई स्थगित कर दी है। मामले की सुनवाई आठ अप्रैल को होगी। बुधवार को इस मामले में गिरफ्तार 18 लोगों को रामपुरहाट अनुमंडल कोर्ट में पेश किया गया। सीबीआइ के अधिवक्ता ने इनमें से आठ के पालीग्राफ टेस्ट के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। अदालत ने आरोपितों को 14 दिन की हिरासत में रखने का आदेश दिया है।