नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोक सेवा दिवस ‘सिविल सर्विस डे’ के मौके पर देश के प्रशासनिक अधिकारियों का सम्मान किया। अधिकारियों को उत्कृष्टता पुरस्कारों से नवाजा गया। इस मौके पर पीएम मोदी ने अधिकारियों से कहा कि ‘आजादी के 100 साल’ को लेकर अपना दृष्टिकोण बताना चाहिए। देश के प्रत्येक जिले को अगले 25 वर्षों के लिए अपने उद्देश्य और लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह व कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। पीएम मोदी ने प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया कि आजादी के इस अमृत काल में हमें अपने जिले में जो पहले कलेक्टर के रूप में काम करके गए हैं, एक बार अगर हो सके तो उनका मिलने का कार्यक्रम बनाइये। आपके पूरे जिले के लिए वो एक नया अनुभव होगा। इसी तरह राज्यों में जो चीफ सेक्रेटरी के रूप में कार्य करके गए हैं, एक बार राज्य के मुख्यमंत्री उन सबको बुला लें। देश के पूर्व प्रधानमंत्री, जितने भी कैबिनेट सेक्रेटरी रहे हैं उनको बुला लें। इस बार का आयोजन रूटीन प्रक्रिया नहीं है, मैं इसे विशेष समझता हूं।
तेजी से बदलते विश्व में पल पल के हिसाब से चलना पड़ेगा
पीएम ने कहा कि हम पिछली शताब्दी की सोच और नीति नियमों से अगली शताब्दी की मजबूती का संकल्प नहीं कर सकते। इसलिए हमारी व्यवस्थाओं, नियमों में, परंपराओं में पहले शायद बदलाव लाने में 30-40 साल चले जाते होंगे, तो चलता होगा। लेकिन तेज गति से बदलते हुए विश्व में हमें पल पल के हिसाब से चलना पड़ेगा।
आजादी के अमृत काल, 75 साल की इस यात्रा में भारत को आगे बढ़ाने में सरदार पटेल का सिविल सर्विस का जो तोहफा है। इसके जो ध्वजवाहक लोग रहे हैं, उन्होंने इस देश की प्रगति में कुछ न कुछ योगदान दिया ही है। उन सबका स्मरण करना, उनका सम्मान करना, ये भी आजादी के अमृत काल में सिविल सर्विस को ऑनर करने वाला विषय बन जाएगा।
आठ सालों में अनेक बदलाव हुए, व्यवहारगत परिवर्तन के प्रयास किए
पीएम ने कहा कि बीते 8 साल के दौरान देश में अनेक बड़े काम हुए। इनमें से अनेक अभियान ऐसे हैं जिनके मूल में व्यवहारगत परिवर्तन हैं। ये कठिन काम होता है और राजनेता तो कभी इसमें हाथ लगाने की हिम्मत ही नहीं करता। ये जो बिहेविरियल चेंज की मेरी जो कोशिश रही है। ये समाज की मूलभूत चीजों में परिवर्तन लाने का जो प्रयास हुआ है, सामान्य मानवी की जिंदगी में बदलाव लाने की मेरी जो आशा आकांक्षा है उसी का हिस्सा है। लेकिन मैं मूलतः राजनीति के स्वभाव का नहीं हूं, मैं जननीति से जुड़ा हुआ इंसान हूं, जनसामान्य की जिंदगी से जुड़ा हुआ इंसान हूं।
शासन में सुधार नित्य प्रक्रिया
देश में सैकड़ों कानून ऐसे थे, जो देश के नागरिकों के लिए बोझ बन गए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले पांच साल में मैंने 1,500 ऐसे कानून खत्म किए थे। शासन में सुधार एक नित्य और सहज प्रक्रिया एवं प्रयोगशील व्यवस्था होनी चाहिए। अगर प्रयोग सफल नहीं हुआ, तो छोड़ते हुए चले जाने का साहस होना चाहिए।
20-22 साल से कर रहा हूं संवाद
पीएम मोदी ने अधिकारियों से कहा कि आज का यह कार्यक्रम इसलिए विशेष है क्योंकि यह आजादी के अमृत महोत्सव के बीच हो रहा है। उन्होंने कहा कि आप जैसे साथियों से इस प्रकार से संवाद मैं लगभग 20-22 साल से कर रहा हूं। पहले मुख्यमंत्री के रूप में करता था और अब प्रधानमंत्री के रूप में कर रहा हूं। उसके कारण एक प्रकार से कुछ मैं आपसे सीखता हूं और कुछ अपनी बातें आप तक पहुंचा पाता हूं। सिविल सेवा दिवस पर आप सभी कर्मयोगियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज जिन साथियों को ये अवार्ड मिले हैं, उनको, उनकी पूरी टीम को और उस राज्य को भी मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई।