न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) एस्टोनिया और नॉर्वे के अनुरोध पर अफगानिस्तान की स्थिति पर सोमवार को आपात बैठक करेगी. परिषद के राजनयिकों ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस परिषद के सदस्यों को राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद के ताजा हालात से अवगत कराएंगे. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इन शुरुआती संकेतों पर भी अफसोस जताया था कि तालिबान अपने नियंत्रण वाले इलाकों में विशेष रूप से महिलाओं और पत्रकारों को निशाना बनाकर कठोर पाबंदियां लगा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने साथ ही देश भर की प्रांतीय राजधानियों पर तेजी से कब्जा कर रहे तालिबान से तत्काल हमले रोकने की और अफगानिस्तान और उसके लोगों के हित में ‘ईमानदारी से बातचीत’ करने की अपील की थी. गुतारेस ने कहा था, ‘युद्ध के मार्ग पर चल रहे लोगों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का संकेत स्पष्ट है : सैन्य ताकत से सत्ता हासिल करना एक विफल कदम है. यह केवल लंबे समय तक गृहयुद्ध या अफगानिस्तान के पूर्ण अलगाव का कारण बनेगा.’
उधर, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को देश छोड़कर चले गए. इसके साथ ही देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, जो नये अफगानिस्तान के निर्माण के पश्चिमी देशों के 20 साल के प्रयोग की समाप्ति का संकेत है. दो अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि गनी हवाई मार्ग से देश छोड़ कर गए.
दोनों अधिकारी पत्रकारों को जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं थे. बाद में अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं. अब्दुल्ला ने कहा, ‘अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अफगानिस्तान को इस मुश्किल स्थिति में छोड़कर देश से चले गए हैं. अल्लाह उन्हें जवाबदेह ठहराएं.’
क्या थे तालिबान को लेकर अनुमान?
अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा.