नई दिल्ली । सभी लोगों की चाहत होती है कि वे हमेशा ख़ूबसूरत दिखें और उनकी त्वचा जवां रहे। इसके लिए महंगे से महंगे प्रोडक्ट्स, ट्रीटमेंट्स से लेकर घरेलू उपायों तक, लोग सभी चीज़ें आज़माते हैं। हालांकि, ज़रूरी नहीं कि इन चीज़ों से सभी को फायदा पहुंचे। त्वचा हमारे शरीर का बाहरी हिस्सा है, लेकिन फिर भी सबसे नाज़ुक अंग है। अगर इसकी सही तरीके से हिफाज़त न की जाए, तो गहरा नुकसान पहुंच सकता है।शरीर के किसी भी हिस्से की तरह, उम्र के साथ त्वचा की क्वालिटी, टेक्सचर और सेहत पर असर पड़ता है। शुरुआत से ही अगर त्वचा का ख़्याल रखा जाए, तो उम्र के साथ इसे स्वस्थ रखा जा सकता है और वक्त से पहले झुर्रियों, फाइन लाइन्स और कई तरह के नुकसान से बचा जा सकता है।बिज़ी शेड्यूल की वजह से कई लोग बिस्तर की चादर और तकिए के कवर बदलना भूल जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धूल के कण, मृत त्वचा, और अन्य कण पदार्थ अक्सर समय के साथ चादर और तकिए के कवर पर फंस जाते हैं? कई दिनों से बिछी चादर पर सोने से मुंहासे, चकत्ते, जलन आदि हो सकती है, जिसकी वजह से समय से पहले बुढ़ापा आ सकता है और त्वचा को नुकसान हो सकता है।धूम्रपान छोड़ने की कई वजह हैं, यह सेहत को बुरी तरह नुकसान पहुंचाता है और अगर यह वजह काफी नहीं है तो आप इसमें त्वचा के नुकसान को भी शामिल कर सकते हैं।
त्वचा की सेहत आपकी लाइफस्टाइल की आदतों से जुड़ी होती है। स्मोकिंग से न सिर्फ वक्त से पहले उम्र बढ़ने लगती है, बल्कि यह त्वचा को रूखा और बेजान बनाते हैं, साथ ही हाइपर-पिग्मेंटेशन, काले होंठों का कारण बनते हैं।एक नरम और लचीली त्वचा को हेल्दी माना जाता है। इसे पाने के लिए, आपको स्किन को मॉइश्चराइज़ रखने की ज़रूरत होती है। रूखी त्वचा अपना टेक्सचर खो देती है, जिससे झुर्रियां और फाइन लाइन्स दिखने लगती हैं। इसलिए दिन भर खूब पानी पिएं, ताकि शरीर के साथ स्किन भी हाइड्रेट रहे। इसी तरह नींद पूरी न होने का असर भी त्वचा पर पड़ता है। इससे स्किन बेजान दिखने लगती है और आंखों के नीचे सूजन आ जाती है। इसलिए रोज़ाना रात में अच्छी नींद लेने की कोशिश करें।स्किन केयर रूटीन का पालन अगर अच्छे से या फिर न किया जाए, तो इससे त्वचा को नुकसान पहुंचता है। उदागरण के तौर पर अगर रात में सोने से पहले स्किन केयर रुटीन का पालन कभी-कभी करेंगी, तो इससे आपको कोई फायदा नहीं पहुंचेगा। स्किन केयर रूटीन को न सिर्फ रोज़ाना फॉलो करना होता है बल्कि मौसम के हिसाब से इसमें बदलाव लाने की भी ज़रूरत होती है। जैसे सर्दियों में गर्मी के मुकाबले ज़्यादा मॉइश्चराइज़ करने की ज़रूरत होती है।