इटावा – विश्व भर में हर साल एचआईवी संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ष 1988 से हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष एड्स दिवस की थीम”भेदभाव की समाप्ति एड्स की समाप्ति तथा महामारी ओं की समाप्ति” है। एड्स की बीमारी का काफी देर बाद पता चलता है और मरीज भी एचआईवी टेस्ट के प्रति सजग नहीं रहते इसलिए अन्य बीमारी का भ्रम बना रहता है । इस समस्या से बचाव के लिए और जागरूकता लाने के लिए एड्स दिवस का आयोजन किया जाता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एम एम आर्या का। उन्होंने बताया – एड्स दिवस पर लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता लाने और इसके प्रति जानकारी देने के लिए जिला अस्पताल में संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। डॉ. आर्या ने बताया – एड्स में जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करता है। इसके कारण शरीर बीमारियों से लड़ने में अक्षम होने लगता है, इसलिए इस रोग के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
एचआईवी जिला समन्वयक रिचा तिवारी ने बताया – बुधवार को जिला क्षय रोग विभाग में दोपहर एक बजे संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही एड्स के प्रति जागरूकता लाने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी होगा, साथ ही एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न स्थानों पर कैंप भी लगाए जाएंगे।
एड्स क्या है?
एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम है।
इम्यूनो वायरस एचआईवी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है।
डेफिशियेंसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और वह ठीक से काम नहीं कर पाता है।
सिंड्रोम ऐसा हो सकता है कि एड्स से पीड़ित व्यक्ति कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण अन्य बीमारियों का भी अनुभव कर सकता है।
एड्स से बचाव
जीवन-साथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध न रखे।
यौन सम्पर्क के समय निरोध(कण्डोम) का प्रयोग करें।
इस्तेमाल की हुई सुईं, मादक औषधियों के आदी व्यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें।
रक्त की आवश्यकता होने पर अनजान व्यक्ति का रक्त न लें और सुरक्षित रक्त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्त ही ग्रहण करें।
डिस्पोजेबल सिरिन्ज एवं सूई तथा अन्य चिकित्सीय उपकरणों का 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लें, तथा दूसरे व्यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्लेड इस्तेमाल न करें।